Sindhutai Sapkal Passes away: 'मां' सिंधु ताई सपकाल का निधन, 1400 अनाथ बच्चों का थीं सहारा

सिंधुताई ने अपने जीवन में 1400 से अधिक बच्चों को अपनाया. सिंधुताई का परिवार बहुत बड़ा है. उनके 207 जमाई है, 36 बहुएं हैं और 1000 से अधिक पोते-पोतियां हैं.

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सिंधुताई सपकाल (फाइल फोटो) सिंधुताई सपकाल (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 04 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 12:29 PM IST
  • सिंधुताई सपकाल का परिवार बहुत बड़ा है
  • सिंधुताई की 1000 से अधिक पोते-पोतियां हैं

सामाजिक कार्यकर्ता और पद्मश्री पुरस्कार विजेता डॉ. सिंधुताई सपकाल का 73 साल की उम्र में निधन हो गया. सिंधुताई सपकाल ने अपना पूरा जीवन अनाथ बच्चों की जिंदगी संवारने में लगा दिया. सिंधुताई 1400 से ज्यादा बच्चों की मां और एक हज़ार से अधिक की दादी थीं. 73 साल की सिंधुताई को लोग प्यार से 'अनाथों की मां' कहते थे. 


राष्ट्रपति कोविंद बोले-  सिंधुताई का जीवन सेवा की प्रेरक गाथा

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डॉ. सिंधुताई सपकाल के निधन के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दुख जताते हुए कहा कि सिंधुताई का जीवन साहस, समर्पण और सेवा की प्रेरक गाथा था. वह अनाथों, आदिवासियों और हाशिए के लोगों से प्यार करती थीं और उनकी सेवा करती थीं. उनके परिवार और अनुयायियों के प्रति मेरी संवेदनाएं.


पीएम मोदी ने कहा- सिंधुताई के निधन से आहत हूं


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ. सिंधुताई सपकाल के निधन पर दुख जताया. उन्होंने कहा कि डॉ. सिंधुताई सपकाल को समाज के लिए उनकी नेक सेवा के लिए याद किया जाएगा. उन्होंने हाशिए के समुदायों के बीच भी बहुत काम किया. उनके निधन से आहत हूं. उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना. शांति.

 

ऐसा था सिंधुताई का जीवन

महाराष्ट्र के वर्धा में एक गरीब परिवार में जन्मी सिंधुताई को बेटी होने के कारण लंबे समय तक भेदभाव झेलना पड़ा था. सिंधुताई सपकाल की जिन्दगी एक ऐसे बच्चे के तौर पर शुरू हुई थी, जिसकी किसी को जरूरत नहीं थी. सिंधुताई की मां उनके स्कूल जाने के विरोध में थीं. हालांकि उनके पिता चाहते थे कि वह पढ़ें. लिहाजा जब वह 12 साल की थीं तब उनकी शादी करा दी गई थी. उनका पति उनसे 20 साल बड़ा था.

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सिंधुताई सपकाल को पति मिला वो गालियां देने और मारने वाला मिला. जब वह 9 महीने की गर्भवती थीं तो उसने उन्हें छोड़ दिया. हालात इतने बुरे हो गए कि उन्हें गौशाला में अपनी बच्ची को जन्म देना पड़ा. वो बताती हैं कि उन्होंने अपने हाथ से अपनी नाल काटी. 

जो भी बच्चा अनाथ मिलता वो उसे अपना लेतीं

इन सब बातों ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया. उन्होंने आत्महत्या करने की भी बात सोची लेकिन बाद में अपनी बेटी के साथ रेलवे-प्लेटफॉर्म पर भीख मांगकर गुजर-बसर करने लगीं. भीख मांगने के दौरान वो ऐसे कई बच्चों के संपर्क में आईं जिनका कोई नहीं था. उन बच्चों में उन्हें अपना दुख नजर आया और उन्होंने उन सभी को गोद ले लिया. उन्होंने अपने साथ-साथ इन बच्चों के लिए भी भीख मांगना शुरू कर दिया. इसके बाद तो सिलसिला चल निकला. जो भी बच्चा उन्हें अनाथ मिलता वो उसे अपना लेतीं. 

सिंधुताई के 207 जमाई है, 36 बहुएं हैं


सिंधुताई ने अपने जीवन में 1400 से अधिक बच्चों को अपनाया. सिंधुताई का परिवार बहुत बड़ा है. उनके 207 जमाई है, 36 बहुएं हैं और 1000 से अधिक पोते-पोतियां हैं. उनके नाम पर 6 संस्थाएं चलती हैं जो अनाथ बच्चों की मदद करती हैं. उनके इस काम के लिए उन्हें पद्मश्री समेत 500 से अधिक सम्मानों से नवाजा गया.

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