संदेसरा लोन केस: डिनो मोरिया और डीजे अकील को ईडी ने भेजा समन

संदेसरा लोन मामले में बॉलीवुड एक्टर डिनो मोरिया और डीजे अकील को समन जारी किया गया है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दोनों को पूछताछ के लिए बुलाया है. खबर है कि स्टर्लिंग बायोटेक लिमिटेड/संदेसरा ग्रुप और इसके प्रमोटर नितिन संदेसरा, चेतन संदेसरा और दीप्ती संदेसरा ने भारतीय बैंकों को 14 हजार 500 करोड़ से ज्यादा का चूना लगाया है. इस मामले की जांच ईडी कर रही है.

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प्रवर्तन निदेशालय (फाइल फोटो) प्रवर्तन निदेशालय (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 01 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 6:21 PM IST

संदेसरा लोन मामले में बॉलीवुड एक्टर डिनो मोरिया और डीजे अकील को समन जारी किया गया है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दोनों को पूछताछ के लिए बुलाया है. खबर है कि स्टर्लिंग बायोटेक लिमिटेड/संदेसरा ग्रुप और इसके प्रमोटर नितिन संदेसरा, चेतन संदेसरा और दीप्ती संदेसरा ने भारतीय बैंकों को 14 हजार 500 करोड़ से ज्यादा का चूना लगाया है. इस मामले की जांच ईडी कर रही है.

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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दावा किया है कि संदेसरा ब्रदर्स द्वारा किया गया घोटाला पीएनबी घोटाले से भी बड़ा है. समाचार एजेंसी एएनआई ने ईडी के सूत्रों के हवाले से बताया कि स्टर्लिंग बायोटेक लिमिटेड/संदेसरा ग्रुप और इसके प्रमोटर नितिन संदेसरा, चेतन संदेसरा और दीप्ती संदेसरा ने भारतीय बैंकों को 14 हजार 500 करोड़ से ज्यादा का चूना लगाया है.

जबकि नीरव मोदी ने 11 हजार 400 करोड़ रुपये का बैंक फ्रॉड किया है. इस मामले में अक्टूबर 2017 में सीबीआई की एफआईआर के बाद ईडी ने इस मामले में केस दर्ज किया. गौरतलब है कि स्टर्लिंग बॉयोटेक के मालिक संदेसरा बंधुओं चेतन जयंतीलाल संदेसरा और नितिन जयंतीलाल संदेसरा पर फर्जी कंपनियां बनाकर बैंकों से लोन लेने का आरोप है. संदेसरा बंधुओं के खिलाफ सीबीआई ने 5700 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था.

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इस मामले में स्टर्लिंग बायोटेक के साथ ही कंपनी के निदेशकों चेतन जयंतीलाल संदेसरा, दीप्ति चेतन संदेसरा, राजभूषण ओमप्रकाश दीक्षित, नितिन जयंतीलाल संदेसरा और विलास जोशी, सीए हेमंत गर्ग आदि को आरोपी बनाया गया था.

फरार चल रहे संदेसरा ब्रदर्स के खिलाफ ईडी के अनुसार लुकआउट नोटिस भी जारी हुआ था. सीबीआई की एफआईआर के अनुसार संदेसरा बंधुओं की कंपनी स्टर्लिंग बायोटेक ने आंध्रा बैंक की अगुवाई वाले बैंकों के संघ से 5000 करोड़ रुपये ऋण लिए थे, जिन्हें चुकाया नहीं गया. यह एनपीए बन गया.

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