साध्वी प्रज्ञा मामले पर NIA को फटकार- सबूत नहीं थे तो चार्जशीट क्यों दाखिल की

साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के मामले में एनआईए कोर्ट ने एनआईए को फटकार लगाई है. मुंबई स्थित कोर्ट ने अपनी सुनवाई के दौरान कहा कि साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ पर्याप्त सबूत थे. अगर सबूत नहीं थे तो एनआईए ने चार्जशीट क्यों दाखिल की.

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एनआईए कोर्ट ने एनआईए को फटकार लगाई है एनआईए कोर्ट ने एनआईए को फटकार लगाई है

मुस्तफा शेख

  • मुंबई,
  • 24 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 3:14 PM IST

साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के मामले में एनआईए कोर्ट ने एनआईए को फटकार लगाई है. मुंबई स्थित कोर्ट ने अपनी सुनवाई के दौरान कहा कि साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ पर्याप्त सबूत थे. अगर सबूत नहीं थे तो एनआईए ने चार्जशीट क्यों दाखिल की. बता दें, साध्वी प्रज्ञा के चुनाव लड़ने से रोकने की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह टिप्पणी की है.

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एनआईए कोर्ट ने कहा, 'मालेगांव बम धमाके के जांच अधिकारी ने क्यों कहा कि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं. साध्वी के खिलाफ प्रत्यक्ष सबूत थे. अगर सबूत नहीं थे तो महाराष्ट्र एटीएस ने अपनी चार्जशीट में क्यों दाखिल की. इस मामले में एनआईए को बताना चाहिए कि उसने साध्वी को जमानत देने के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती क्यों नहीं दी.'

साथ ही एनआईए कोर्ट ने कहा कि हमारे पास चुनाव लड़ने से रोकने का अधिकार नहीं है. यह तय निर्वाचन अधिकारियों को तय करना है. यह अदालत आरोपी को चुनाव लड़ने से नहीं रोक सकती है. बता दें, मध्यप्रदेश के भोपाल से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ मालेगांव धमाके के एक पीड़ित के पिता ने याचिका दायर की थी. इस याचिका में उन्हें चुनाव लड़ने से रोकने की मांग की गई थी.

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क्या है मामला

महाराष्ट्र में नासिक जिले के मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को खौफनाक बम धमाका हुआ था. उस धमाके में 7 बेगुनाह लोगों की जान चली गई थी, जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. ये धमाका रमजान के माह में उस वक्त किया गया था, जब मुस्लिम समुदाय के बहुत सारे लोग नमाज पढ़ने जा रहे थे. इस धमाके के पीछे कट्टरपंथी हिंदू संगठनों का हाथ होने का आरोप लगा था. इसमें साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित का नाम सामने आया था.

2008 में हुए मालेगांव बम विस्फोट में उन्हें शक के आधार पर गिरफ्तार किया गया था. 25 अप्रैल 2017 को उन्‍हें जमानत पर रिहा किया गया. साध्वी के खिलाफ सबूत न होने पर हाल ही में इस केस से दोषमुक्‍त भी कर दिया गया.

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