मुंबई में शुरू हुई 'ऑक्सीजन स्कैम' की जांच, कोविड संकट के दौरान 140 करोड़ का दिया गया था ठेका, लेकिन आधे पैसे की ही हुई सप्लाई

कथित घोटाले के सिलसिले में आयकर विभाग ने पिछले महीने कई स्थानों पर छापेमारी की थी. बीएमसी के 'जंबो' कोविड-19 सेंटर या फील्ड अस्पतालों की स्थापना और संचालन में कथित अनियमितताओं की जांच पहले से ही चल रही है.

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मुंबई पुलिस ने बीएमसी ऑक्सीजन आपूर्ति घोटाला मामले में पहली एफआईआर दर्ज की है. मुंबई पुलिस ने बीएमसी ऑक्सीजन आपूर्ति घोटाला मामले में पहली एफआईआर दर्ज की है.

aajtak.in

  • मुंबई ,
  • 23 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 9:08 AM IST

मुंबई पुलिस ने बुधवार को कोविड​​​​-19 महामारी के दौरान शहर के सिविल अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति में कथित घोटाले के संबंध में पहली एफआईआर दर्ज की.  एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी, हालांकि उन्होंने इस बारे में अधिक विवरण नहीं दिया. एफआईआर में यह आरोप लगाया गया है कि बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) ने महामारी के दौरान ऑक्सीजन की खरीद और आपूर्ति के लिए एक ठेकेदार को 140 करोड़ रुपये का भुगतान किया, लेकिन आधे से भी कम पैसे का इस्तेमाल वास्तविक आपूर्ति के लिए किया गया.

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कथित घोटाले के सिलसिले में आयकर विभाग ने पिछले महीने कई स्थानों पर छापेमारी की थी. बीएमसी के 'जंबो' कोविड-19 सेंटर या फील्ड अस्पतालों की स्थापना और संचालन में कथित अनियमितताओं की जांच पहले से ही चल रही है. शिवसेना (UBT) सांसद संजय राउत के मित्र व्यवसायी सुजीत पाटकर को इस साल की शुरुआत में मामले में गिरफ्तार किया गया था. इस साल अक्टूबर में आयकर विभाग ने मुख्य रूप से बढ़ी हुई दरों पर ऑक्सीजन की आपूर्ति के संबंध में मुंबई और अन्य स्थानों में कई ठेकेदारों के परिसरों की तलाशी ले थी. 

ईडी ने इसी मामले में दर्ज किया है मनी लॉन्ड्रिंग का केस

इससे पहले, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बीएमसी कोविड घोटाले के संबंध में मनी लॉन्ड्रिंग के लिए हाईवे कंस्ट्रक्शन कंपनी के ऑक्सीजन आपूर्ति ठेकेदार रोमिन छेदा की जांच की थी. छेदा राजनीतिक रूप से प्रभावशाली ठेकेदारों में से एक थे, जो लंबे समय से अपनी कंपनी के जरिए बीएमसी में काम कर रहे थे. उनकी कंपनी बायकला में नगर निगम द्वारा संचालित चिड़ियाघर के नवीकरण कार्य में शामिल थी. महामारी के दौरान, बीएमसी ने रोमिन छेदा को ऑक्सीजन खरीद और आपूर्ति का काम सौंपा था. उन्हें इस दौरान अस्पताल और फील्ड कोविड सेंटरों में ऑक्सीजन की आपूर्ति करने के लिए कहा गया था.

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यह आरोप लगाया गया कि रोमिन छेदा ने अपनी दूसरी कंपनी, जो एक पेपर कंपनी थी, उसको काम का सब-कॉन्ट्रैक्ट दिया, जिसने अंततः दिल्ली स्थित आपूर्तिकर्ता से ऑक्सीजन और आवश्यक उपकरण खरीदे थे. यह पाया गया कि दिल्ली स्थित आपूर्तिकर्ता ने रोमिन छेदा के पेपर कंपनी के नाम पर बिल जारी किया. फिर इस पेपर कंपनी ने हाईवे कंस्ट्रक्शन कंपनी के नाम पर बढ़े हुए रेट के साथ बिल जारी किए. आपको बता दें कि रोमन छेदा को बीएमसी से हाईवे कंस्ट्रक्शन कंपनी के ​जरिए ही ऑक्सीजन सप्लाई का ठेका मिला था.
 

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