मुंबई का यह परिवार बालकनी में चिड़िया-कबूतरों को नहीं खिलाएगा दाना, जानिए कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा?

जज ने कहा कि सोसाइटी भी इस मुकदमे का हिस्सा है. अगर संभव हो सकता है तो वो परिवार के इस आग्रह पर विचार करे कि कोई ऐसी जगह तय की जाए, जहां पक्षियों को ये परिवार या सोसाइटी के अन्य सदस्य दाना डालना चाहें तो डाल सकें.

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कोर्ट ने चिड़ियों को खिलाने पर रोक क्यों लगाई? (सांकेतिक फोटो) कोर्ट ने चिड़ियों को खिलाने पर रोक क्यों लगाई? (सांकेतिक फोटो)

विद्या

  • मुंबई,
  • 28 जून 2021,
  • अपडेटेड 8:32 PM IST
  • मुंबई सिविल कोर्ट ने सुनाया फैसला
  • दाना डालना पड़ोसियों के लिए परेशानी पैदा करने वाला
  • इस मामले में दस साल से चल रही थी सुनवाई

मुंबई सिटी सिविल कोर्ट ने एक अपमार्केट हाउसिंग सोसाइटी में रहने वाले एक परिवार पर बालकनी में चिड़िया-कबूतरों को दाना खिलाने पर स्थाई तौर पर रोक लगा दी है. पड़ोसियों ने इससे दिक्कत होने की शिकायत की थी. वर्ली इलाके के एक बुजुर्ग दंपति ने बहुमंजिला इमारत में अपने फ्लैट के ठीक ऊपर वाले फ्लोर पर रहने वाले परिवार की शिकायत की थी.

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इस मुद्दे की शुरुआत 2009 में हुई थी जब बुजुर्ग दंपति के फ्लैट के ऊपर रहने वाले परिवार ने बालकनी खिड़की से बाहर मेटल ट्रे के जरिए एक बड़ा प्लेटफॉर्म बाहर बनाया. साथ ही वहां पक्षियों के लिए दाना-पानी रखना शुरू कर दिया. शुरू में पक्षियों को दिया जाने वाला दाना और अन्य खाने का सामान नीचे बुजुर्ग दंपति के फ्लैट की स्लाइडिंग विंडो के चैनल पर भी गिरता था.

दाने बहुत छोटे आकार के होते थे, इसलिए उन्हें वहां से साफ करना भी मुश्किल होता था. साथ ही स्लाइडिंग विंडो को खोलने बंद करने में भी दिक्कत होने लगी. इसके अलावा कबूतर जैसे पक्षियों की बीट (विष्ठा) भी नीचे गिरती रहती थी. इससे वहां बदबू भी रहने लगी.

बुजुर्ग दंपति का कहना था कि पक्षियों को दिए जाने वाले अनाज में छोटे कीड़े होते थे जो उनके घर में प्रवेश कर जाते थे. बुजुर्ग महिला को पहले से ही त्वचा की दिक्कत थी जो ऐसे हालात में और बढ़ गई.

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बुजुर्ग दंपति ने कई बार ऊपर वाले फ्लैट पर रहने वाले परिवार को अपनी दिक्कतों के बारे में बताया लेकिन उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया. उलटे बुजुर्ग दंपति से ही कहा कि पक्षियों को दाना-पानी डालने जैसे दयाभाव वाले काम में अड़ंगे न लगाएं और पड़ोसी के नाते अनाज नीचे गिरना बर्दाश्त करें.

जब इतना समझाने के बाद भी ऊपर के फ्लैट वाले परिवार ने अपना बर्ताव वैसे ही जारी ऱखा तो बुजुर्ग दंपति ने 2011 में कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जज एएच लड्डाड ने इस महीने दोनों पक्षों की सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुनाया-  “मेरी राय में पक्षियों को मेटल ट्रे में दाना डालकर खिलाने वाले परिवार का बर्ताव दंपति को परेशान करने वाला है क्योंकि उनकी बालकनी इस परिवार की बालकनी के ठीक नीचे है.” 

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कोर्ट ने ये भी सुनवाई के दौरान संज्ञान में लिया कि पक्षियों को दाना डालने वाले परिवार ने कहा था कि अगर सोसाइटी में उन्हें कोई और जगह दी जाती है तो वहां पक्षियों को दाना खिलाने के लिए तैयार हैं. 

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जज ने कहा कि सोसाइटी भी इस मुकदमे का हिस्सा है. अगर संभव हो सकता है तो वो परिवार के इस आग्रह पर विचार करे कि कोई ऐसी जगह तय की जाए, जहां पक्षियों को ये परिवार या सोसाइटी के अन्य सदस्य दाना डालना चाहें तो डाल सकें.

 

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