MSCB घोटाला: रोहित पवार को मुंबई की विशेष कोर्ट से राहत, EOW मामले में दायर हो चुकी है क्लोजर रिपोर्ट

मुंबई की एक विशेष अदालत ने गुरुवार को एनसीपी (सपा) गुट के विधायक रोहित पवार और पार्टी प्रमुख शरद पवार के पोते को राहत दी जो प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज एक मामले में अदालत के सम्मन के बाद अदालत में पेश हुए थे.

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रोहित पवार और शरद पवार. (photo: ITG) रोहित पवार और शरद पवार. (photo: ITG)

विद्या

  • मुंबई,
  • 22 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 7:52 AM IST

मुंबई की एक विशेष अदालत से गुरुवार को एनसीपी (SP) गुट के विधायक रोहित पवार और पार्टी प्रमुख शरद पवार के पोते को बड़ी राहत मिली है जो प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज एक मामले में अदालत के समन के जवाब अदालत में पेश हुए थे.

दरअसल, एजेंसी (ईडी) ने हाल ही में रोहित पवार और उनकी कंपनी बारामती एग्रो समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (MSCB) घोटाले में एक चार्जशीट दाखिल की थी. बारामती एग्रो उन कई चीनी मिलों में शामिल है, जिन्हें इस मामले में आरोपी बनाया गया है, जिसमें उनके चाचा और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार और अन्य को भी आरोपी बनाया गया है.

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मामले की जांच के दौरान ईडी ने रोहित को तलब किया था, लेकिन एजेंसी ने उन्हें कभी गिरफ्तार नहीं किया. इसीलिए जब वह गुरुवार को अदालत में पेश हुए तो विशेष जज एसआर नवंदर ने उन्हें एक मुचलका और वचनपत्र भरने पर रिहा कर दिया कि वे मुकदमे की सुनवाई के दौरान अदालत में मौजूद रहेंगे. 

'बंद हो चुका है मामला'

इसके बाद मामले की सुनवाई को स्थगित करते हुए कहा कि ईडी ने भले ही चार्जशीट दाखिल की हो, लेकिन मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा जांचे जा रहे मूल अपराध (प्रेडिकेट ऑफेंस) में एक क्लोजर रिपोर्ट, एक सी समरी दाखिल की जा चुकी है.

सी समरी तब दायर की जाती है, जब जांच के बाद मामला ना तो पूरी तरह सही माना जाता है और ना ही गलत और पुलिस कहती है कि शुरुआती शिकायत फैक्ट्स की गलती पर आधारित थी या जब कथित अपराध को आपराधिक के बजाए सिविल प्रकृति का माना जाता है.

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कानून के अनुसार, यदि मूल अपराध की जांच बंद हो जाती है तो ईडी का मामला भी खड़ा नहीं रह सकता. विशेष जज ने नोट किया कि मूल अपराध की समापन रिपोर्ट पर अभी बहस होनी बाकी है और इसलिए रोहित पवार के खिलाफ ईडी के मामले की सुनवाई के लिए लंबी तारीख दी गई. इस मामले की अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को होगी.

यह इस मामले में आर्थिक अपराध शाखा द्वारा दायर की गई दूसरी क्लोजर रिपोर्ट है और प्रत्येक क्लोजर रिपोर्ट उस वक्त दायर की गई थी जब एनसीपी नेता अजित पवार राज्य में सरकार का हिस्सा थे.

एमएससीबी बैंक घोटाला कथित तौर पर चीनी मिलों के संचालकों द्वारा बैंकों से लिए गए भारी-भरकम कर्ज से जुड़ा है. हालांकि, आरोप है कि भारी-भरकम कर्ज के बावजूद, चीनी मिलें नहीं चलीं और फिर बैंकों ने उन्हें गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) में डाल दिया.

घोटाले के नहीं हैं सबूत: EOW

इसके बाद बैंकों ने कथित तौर पर राजनेताओं से जुड़े लोगों को औने-पौने दामों पर चीनी मिलों की नीलामी कर दिया. हालांकि, कुछ साल पहले EOW ने कहा था कि उसके पास घोटाले का कोई सबूत नहीं है और इसलिए इसे बंद करने की मांग की थी. उस वक्त बंद करने के खिलाफ कई विरोध याचिकाएं दायर की गई थीं और ईडी ने भी बंद करने का विरोध किया था.

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ईडी ने दावा किया था कि लोक के रूप में ली गई राशि को चीनी मिलों को चलाने के लिए इस्तेमाल करने के बजाय विभिन्न खातों में भेज दिया गया और उसका धनशोधन किया गया.

केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि उसका मामला आर्थिक अपराध शाखा (EOW) की प्राथमिकी पर आधारित है और उसने जांच के बाद एक मुख्य अभियोजन शिकायत (आरोप-पत्र) और दो पूरक आरोप-पत्र दायर किए हैं.

ईडी ने अदालत को बताया कि क्लोजर रिपोर्ट अभियोजन शिकायतों के साथ-साथ अपराध की आय को भी प्रभावित करेगी. वहीं, राज्य में सरकार बदलने के साथ ही EOW की पहली क्लोजर रिपोर्ट वापस ले ली गई और एजेंसी ने आगे की जांच का वादा किया. हालांकि, कुछ साल बाद जब सरकार बदल गई तो EOW ने 2024 में फिर से क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी. इसके अलावा दूसरी क्लोजर रिपोर्ट पर फैसला अभी लंबित है और ED ने क्लोजर रिपोर्ट का विरोध करने की अनुमति के लिए एक आवेदन दायर किया है.

'क्लोजर रिपोर्ट को रोकने की दी जाए अनुमति'

गुरुवार को ईडी की ओर से पेश विशेष लोक अभियोजक सुनील गोंजाल्विस ने मांग की कि एजेंसी को हस्तक्षेप करने और दूसरी क्लोजर रिपोर्ट का विरोध करने की अनुमति दी जाए, क्योंकि उनके अनुसार, ईओडब्ल्यू की आगे की जांच ईडी के इनपुट के आधार पर की गई थी. हालांकि, अदालत ने कहा कि एजेंसी के हस्तक्षेप को पहले दौर में खारिज कर दिया गया था और अब इस पर विचार नहीं किया जा सकता तथा उन्हें विरोध याचिका दायर करनी चाहिए थी.

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इसके बाद गोंजाल्विस ने कहा, 'या तो हस्तक्षेप की अनुमति दी जाए या इसे विरोध याचिका में बदल दिया जाए. कृपया ध्यान दें कि पूरी जानकारी मेरी है, जिसके आधार पर EOW ने जांच की है. क्योंकि अगर हस्तक्षेप की अनुमति नहीं दी गई तो मेरे पास क्लोजर रिपोर्ट की प्रति नहीं है और इसलिए मैं क्लोजर रिपोर्ट का विरोध नहीं कर पाऊंगा.' हालांकि, न्यायाधीश ने बताया कि एजेंसी अपने पिछले हस्तक्षेप की अस्वीकृति को पहले ही बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दे चुकी है. 

विशेष न्यायाधीश ने तब कहा, "हाईकोर्ट में बयान दीजिए. इस कोर्ट ने आपके लिए दरवाजा बंद कर दिया है. लेकिन अदालत ने कहा कि वह ईओडब्ल्यू की क्लोजर रिपोर्ट पर 18 सितंबर से सुनवाई शुरू करेगी.

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