शिवसेना सांसद मिलिंद देवड़ा ने सोमवार को केंद्र सरकार की ओर से स्ट्रीट फूड जैसे समोसा और जलेबी पर रेगुलेशन लगाने के फैसले की कड़ी आलोचना की. उन्होंने कहा कि अगर सरकार को ये कदम जरूरी लगता है, तो फिर मैकडॉनल्ड्स जैसे फूड चेन पर भी वैसी ही सख्ती होनी चाहिए.
ANI से बातचीत में देवड़ा ने कहा, 'अगर सरकार जलेबी और समोसे पर प्रतिबंध लगाने की बात कर रही है, तो फिर बर्गर, पिज्जा और डोनट्स जैसे विदेशी जंक फूड पर भी वही नियम लागू होने चाहिए. अगर हम सड़क किनारे समोसा बेचने वाले छोटे दुकानदारों को रेगुलेट करेंगे, तो मैकडॉनल्ड्स जैसे बड़े रेस्टोरेंट पर भी वैसा ही नियंत्रण होना चाहिए.'
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मोटापे पर चिंता और ‘समान नियमों’ की मांग
मिलिंद देवड़ा ने यह भी कहा कि भारत में मोटापा तेजी से बढ़ती समस्या है और यह आगे चलकर सामाजिक और आर्थिक चुनौती बन सकता है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शुरू किए गए 'एंटी-ओबेसिटी' (मोटापा-विरोधी) कैंपेन की सराहना की, लेकिन यह भी जोर दिया कि भारतीय और विदेशी जंक फूड के लिए नियम समान होने चाहिए.
उन्होंने कहा, 'स्वास्थ्य मंत्रालय ने जलेबी और समोसे जैसे अनहेल्दी इंडियन फूड्स पर रेगुलेशन्स लागू करने की कोशिश की है. यह मामला फिलहाल अधीनस्थ विधान समिति (Subordinate Legislation Committee) के पास है, जो इस पर अध्ययन कर रही है. हम FSSAI और स्वास्थ्य मंत्रालय से लगातार बातचीत कर रहे हैं. हमारी समिति जल्द ही इस मुद्दे पर संसद में रिपोर्ट पेश करेगी.'
देवड़ा ने यह भी कहा कि अमेरिका में मोटापा एक बड़ी चुनौती बन चुका है और मल्टीनेशनल फूड चेन्स भारत में वेस्टर्न फूड कल्चर ला रहे हैं, जिसका एक नकारात्मक असर मोटापे के रूप में सामने आ रहा है.
मंत्रालय का नया अभियान: 'ऑयल एंड शुगर बोर्ड'
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने मोटापा और गैर-संक्रामक बीमारियों (NCDs) पर नियंत्रण के लिए हाल ही में एक नई पहल शुरू की है. इसके तहत सभी सरकारी मंत्रालयों, विभागों और संस्थानों को 'ऑयल एंड शुगर बोर्ड' लगाने के निर्देश दिए गए हैं यानी ऐसे पोस्टर या डिजिटल बोर्ड, जो लोगों को यह जानकारी दें कि वे कितना फैट और शुगर खा रहे हैं.
इस कदम के तहत जल्द ही सरकारी दफ्तरों की कैंटीनों और आम क्षेत्रों में जागरूकता संदेश दिखाई देंगे. वहीं, मेन्यू में भी बदलाव करके फलों, सब्जियों और कम फैट वाले भोजन को बढ़ावा दिया जा सकता है.
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