100 साल पुराना वो केस, जिसमें आम चुराने के लिए दोषी ठहराए गए चार आरोपी... जानिए कोर्ट ने क्या सजा सुनाई थी

महाराष्ट्र के ठाणे में एक वकील को अदालत के 100 साल पुराने केस के फैसले की एक कॉपी मिली है, जिसमें आम चोरी के मामले में चार युवाओं को दोषी ठहराया गया था. पढ़िए कोर्ट ने इस मामले में दोषी ठहराए गए युवाओं को क्या सजा दी थी.

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100 साल पहले आम चोरी के मामले में कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया था? 100 साल पहले आम चोरी के मामले में कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया था?

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 19 मई 2024,
  • अपडेटेड 2:39 PM IST

महाराष्ट्र के ठाणे में एक वकील को 100 साल पुराने मामले की एक कॉपी मिली, जिसमें कोर्ट ने आम की चोरी के मामले में फैसला सुनाया था. कोर्ट के आदेश की ये कॉपी में उस समय की कानूनी कार्यवाही की एक झलक मिलती है. 

कोर्ट के आदेश की यह कॉपी साल 1924 की है. 5 जुलाई 1924 के आदेश में तत्कालीन मजिस्ट्रेट टीए फर्नांडिस ने चार लोगों को आम की चोरी का दोषी ठहराया और उन्हें हिदायत देकर रिहा कर दिया क्योंकि वे सभी युवा थे और उन्हें सजा सुनाकर वह उनका जीवन बर्बाद नहीं करना चाहते थे.  

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वकील पूनित महिमकर ने रविवार को न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि ठाणे शहर में अपने पुराने घर से शिफ्ट होने के दौरान उन्हें वर्षों से लावारिस पड़ा एक बैग मिला, जिसे शायद घर में पहले वाले लोगों ने छोड़ा था. जब उसने बैग खोला तो उसमें कुछ पुराने संपत्ति के कागजात और मजिस्ट्रेट के आदेश की एक प्रति मिली.  

185 आमों की हुई थी चोरी

कोर्ट का ये आदेश 'क्राउन बनाम अंजेलो अल्वेरेस और 3 अन्य' शीर्षक वाले मामले से संबंधित था, जिसमें "185 हरे आमों" की चोरी के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 379/109 के तहत आरोप लगाया गया था. जिसमें मजिस्ट्रेट फर्नांडिस के फैसले में अभियोजन पक्ष के मामले को दोहराया गया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि आरोपियों को बोस्तियाव एलिस एंड्राडेन के खेत से आम तोड़ते समय रंगे हाथ पकड़ा गया था. 

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गवाह ने आम बेचे जाने की दी थी गवाही 

गवाहों ने आरोपी को चोरी हुए आमों को एक स्थानीय डीलर को बेचते हुए देखने की गवाही दी, जिससे एंड्राडेन को अपनी संपत्ति (आम) वापस पाने और कानूनी कार्रवाई की मांग करने के लिए प्रेरित किया गया. हालांकि बचाव पक्ष ने खुद को निर्दोष बताते हुए दलील दी, लेकिन मजिस्ट्रेट ने आरोपी को चोरी का दोषी ठहराया.  

मजिस्ट्रेट ने आदेश देते हुए क्या कहा? 

मजिस्ट्रेट ने अपने आदेश में कहा, "पूरे सबूतों पर विचार करते हुए मैं संतुष्ट हूं कि आरोपी चोरी के अपराध के दोषी हैं, लेकिन ये सभी युवा हैं और मैं उन्हें सजा देकर उनका जीवन बर्बाद करने की कोई इच्छा नहीं रखता. इसके अलावा उन पर पहले से कोई दोषसिद्धि नहीं है. इसके बाद भी मैं इन्हें धारा 379/109 के तहत दोषी ठहराता हूं और उचित चेतावनी के बाद उन्हें रिहा कर दिया जाए." महिमकर ने कहा कि वह अब दस्तावेज को संरक्षित करने की योजना बना रहे हैं. 

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