बीजेपी सरकार के मंत्री का लोन माफ, दो बैंकों को लगा 51 करोड़ का चूना

पाटिल के खिलाफ दो साल पहले सीबीआई ने बैंक ऑफ महाराष्ट्र और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से धोखाधड़ी करने और आपराधिक साजिश करने की शिकायत दर्ज की थी. शिकायत के मुताबिक इस धोखाधड़ी से दोनों बैंकों को लगभग 49.30 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा था.

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यूनियन बैंक ऑफ इंडिया यूनियन बैंक ऑफ इंडिया

राहुल मिश्र

  • नई दिल्ली,
  • 28 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 6:05 PM IST

महाराष्ट्र के लातूर से बीजेपी नेता और राज्य सरकार में लेबर और स्किल डेवलपमेंट मंत्री संम्भाजी पाटिल निलांगेकर का 51 लाख रुपये का कर्ज दो बैंकों ने माफ कर दिया है. पाटिल के खिलाफ दो साल पहले सीबीआई ने बैंक ऑफ महाराष्ट्र और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से धोखाधड़ी करने और आपराधिक साजिश करने की शिकायत दर्ज की थी. शिकायत के मुताबिक इस धोखाधड़ी से दोनों बैंकों को लगभग 49.30 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा था.

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इस कर्ज माफी की बात को मानते हुए पाटिल ने एक प्रमुख अखबार से दावा किया है कि बैंक ऑफ महाराष्ट्र और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने नियमों के मुताबिक उनके कर्ज को माफ किया है. लिहाजा इस कर्ज माफी में किसी तरह से नियमों की अनदेखी नहीं की गई है.

दरअसल यह मामला 2009 का है जब महाराष्ट्र स्थित विकटोरिया एग्रो फूड प्रोसेसिंग प्राइवेट लिमिटेड ने दोनों बैंकों के लातूर शाखा से 20-20 करोड़ रुपये का कर्ज लिया. पाटिल का दावा है कि वह इस कंपनी में महज प्रमोटर की भूमिका में हैं और कंपनी उनके साले की है. उन्होंने कंपनी को शुरू करने के लिए बैंक से कर्ज में गारंटर की भूमिका अदा की थी.

वहीं 2009 में कर्ज लेने के बाद 2011 तक यानी महज दो साल तक कंपनी ने बैंक का ब्याज अदा किया और उसके बाद दोनों ब्याज और कर्ज लिया गया मूलधन लौटाने में विफल हो गई. जिसके बाद मूलधन और बचा हुआ ब्याज जोड़कर बैंक की कुल लेनदारी 76 करोड़ रुपये आंकी गई.

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बैंक के इस कर्ज को एनपीए घोषित कर दिया गया. जिसके बाद कंपनी को 25 करोड़ रुपये में नीलाम कर दिया गया और 12.5 करोड़ रुपये की रकम दोनों बैंकों में बांट दी गई. अंतिम नतीजा यह रहा कि बैंक ने अपने कुल 76 करोड़ रुपये में 51 करोड़ रुपये माफ कर दिया और 20-20 करोड़ रुपये के कर्ज के ऐवज में महज 12.5 करोड़ रुपये लेकर मामले को खत्म कर दिया. गौरतलब है कि बैंक के इस कर्ज से लातूर के नजदीक सकोल में एक शराब फैक्ट्री लगाई गई थी.

इस मामले में 23, मार्च 2014 को बैंकिंग सिक्योरिटी और फ्रॉड सेल की तरफ से एफआईआर दर्ज कराई गई थी. मामले की जांच के बाद सीबीआई ने पाटिल पर आपराधिक साजिश रचने और धोखाधड़ी का आरोप लगाया था. हालांकि इसके बाद 22 जुलाई 2016 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस ने पाटिल का बचाव करते हुए विधानसभा में दावा किया था कि पाटिल उक्त कंपनी में महज गारंटर थे और धोखाधड़ी में उनकी कोई भूमिका नहीं रही है.

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