अजित पर सॉफ्ट, ढाई-ढाई साल CM का राग... क्या है शरद पवार के मन की बात?

एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने अजित पवार के बगावती रुख के बाद भी सख्त स्टैंड की बजाय सॉफ्ट रुख अख्तियार कर रखा है. एनसीपी के दिग्गग नेता उन्हें मनाने में जुटे हैं. इन सबके बीच शरद पवार ने ढाई-ढाई साल के CM के मुद्दे को हवा दे दिया है. ऐसे में शरद पवार के मन में क्या चल रहा है, इसका अंदाजा कोई भी नहीं लगा पा रहा है.

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अजित पवार और शरद पवार (फाइल फोटो) अजित पवार और शरद पवार (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 3:10 PM IST

  • महाराष्ट्र में सियासी उठापटक जारी
  • सत्ता की जंग में किसके हाथ बाजी

महाराष्ट्र की सियासत में लगातार उठापटक जारी है. एनसीपी प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने पार्टी से बगावत कर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली है. इसके बावजूद शरद पवार अजित पवार के खिलाफ सख्त रुख नहीं अपना रहे हैं और लगातार एनसीपी के दिग्गज नेता उन्हें मनाने में जुटे हैं. इन सबके बीच शरद पवार ने ढाई-ढाई साल के CM के मुद्दे को हवा दे दिया है. ऐसे में शरद पवार के मन में क्या चल रहा है, इसका अंदाजा कोई भी नहीं लगा पा रहा है.

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अजित पवार पर सॉफ्ट शरद पवार

अजित पवार ने एनसीपी को तोड़कर बीजेपी के साथ हाथ मिला लिया है. इसके बाद भी शरद पवार ने अजित पवार को न तो पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया है और न ही कोई ठोस कार्रवाई की है. शरद पवार पूरी तरह से अजित पवार पर सॉफ्ट रुख अख्तियार किए हुए हैं. 'पवार परिवार' की कोशिश है कि किसी भी तरह अजित पवार को मनाया जाए और उन्हें फिर एनसीपी खेमे में वापस बुलाया जाए. इसी के मद्देनजर शरद पवार और सुप्रिया सुले ने अजित पवार के भाई श्रीनिवास से भी बात की है.

अजित पवार के साथ एनसीपी के दिग्गज नेता विधानसभा में मंथन कर रहे हैं. अजित पवार को छगन भुजबल और जयंत पाटिल जैसे कई बड़े एनसीपी नेता मनाने में जुटे हैं. एनसपी के नए विधायक दल के नेता चुने गए जयंत पाटिल ट्वीट कर सार्वजनिक तौर पर अजित पवार को वापस आने का न्योता दे चुके हैं. जबकि नवाब मलिक ने कहा है कि अजित पवार से गलती हो गई है, उन्हें डिप्टी सीएम पद से इस्तीफा देकर पार्टी में वापसी करनी चाहिए.  

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ढाई-ढाई साल सीएम का राग

महाराष्ट्र की सत्ता के लिए मचे घमासान के बीच शरद पवार ने कहा कि हमने शिवसेना से ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री पद की मांग की थी, लेकिन इस मसले पर मतभेद था. कोई सहमति नहीं बन पाई थी. इसी के चलते यह सारा सियासी उलटफेर हुआ है. जबकि, कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि ढाई-ढाई साल वाली बात उन्हें नहीं पता, इसे शरद पवार से ही पूछिए.

ऐसे में सवाल उठता है कि इस बयान के जरिए एनसीपी शरद पवार ने क्या सियासी संदेश देना चाहते हैं. क्या शरद पवार ने यह बात कहकर शिवसेना को इशारों-इशारों में राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की है. शिवसेना ने बीजेपी के सामने ढाई-ढाई साल के सीएम का फॉर्मूला रखा था, जिस पर बात नहीं बन सकी थी. ऐसे में इस राजनीतिक संकट में जब शिवसेना बैकफुट पर है तो क्या शरद पवार ने ढाई-ढाई साल सीएम की बात को रखकर सियासी सौदेबाजी का दांव चला है.

साथ ही शरद पवार ने कहा कि शिवसेना के साथ कुछ भी बुरा नहीं हो सकता, क्योंकि मैंने उनसे वादा किया है. उन्होंने कहा कि तीनों पार्टियों को मिलकर 5 साल तक सरकार चलानी है, इसलिए कुछ भी जल्दी में नहीं होना चाहिए. ऐसे में शरद पवार के मन में क्या चल रहा है, इसको न तो कांग्रेसी समझ पा रहे हैं और न हीं शिवसेना के नेता.

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