बृहन्मुंबई म्युनिसिपल कारपोरेशन (बीएमसी) अपने झूठ में फिर फंस गया. कुछ दिन पहले ही बीएमसी स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन यशवंत जाधव ने इंडिया टुडे से बात करते हुए दावा किया था कि मुंबई में एक भी गड्ढा नहीं है. इसके बाद सोशल मीडिया पर शिवसेना नेता जाधव को जमकर ट्रोल किया गया.
साथ ही सोशल मीडिया पर मुंबई की सड़कों के पोल खोलते गड्ढों की तस्वीरों और वीडियो की बाढ़ आ गई. बीएमसी ने चारों तरफ हो रही आलोचना के बाद एक और मोबाइल एप लॉन्च किया है जहां नागरिक गड्ढों से जुड़े मुद्दों को रजिस्टर कर सकते हैं.
बीएमसी ने ट्वीट में कहा है, ‘मुंबई, हमने मुंबई के गड्ढों की दिक्कतों के लिए पुख्ता समाधान ढूंढा है. जहां भी गड्ढा देखें, उसे नए माईबीएमसी @MyBMC पॉटहोल फिक्सिट एप पर रिपोर्ट करें. उसकी लोकेशन की पहचान कर आप को समस्या के समाधान पर अपडेट किया जाता रहेगा. आइए साथ मिल कर विकास की सड़क को सुगम बनाएं.’
कृपया गड्ढों को रिपोर्ट करने के लिए एप डाउनलोड करें...
हैरानी की बात है कि बीएमसी का एक एप पहले से ही है. नागरिक अपनी समस्या को ट्विटर और वेबसाइट के जरिए भी दर्ज कराते हैं. इसके अलावा इसी काम के लिए हेल्पलाइन नंबर भी है. ऐसे में बीएमसी के उठाए नए कदम पर लोगों और विपक्ष ने कोई खास उत्साह नहीं दिखाया है.
बीएमसी में नेता विपक्ष रवि राजा ने ट्वीट किया है, ‘बीएमसी गड्ढों की समस्या के लिए एक और एप लेकर आया है. मैं नहीं समझता जब मॉनसून खत्म होने को है, नागरिकों को बहुत भुगतना पड़ा और सबसे ऊपर हमारे पास हेल्पलाइन है. इस एप से क्या अंतर आएगा? और अगर आप स्टैंडिंग कमेटी के प्रमुख और प्रशासन तक के दावे को याद करें तो कहा गया था कि शहर में कोई गड्ढा नहीं है. तो इस एप को लॉन्च करने से आप मानते हैं कि शहर गड्ढों से भरा है. बीएमसी प्रशासन खेल खेलना बंद करें और स्थायी समाधान के साथ सामने आए.’
आरटीआई एक्टिविस्ट शकील अहमद भी बीएमसी की ओर से नए एप को लॉन्च किए जाने से हैरान हैं. शकील अहमद ने ही आरटीआई के जरिए ये कलई खोली थी कि बीएमसी ने किस तरह इकलौते गड्ढे को फिक्स करने के लिए 17 हजार रुपए खर्च किए वो भी घटिया सामग्री के साथ.
शकील कहते हैं, ‘सिस्टम पहले से ही है. उसमें कुछ जोड़ने की ज़रूरत नहीं है. इंजीनियरों को जो करने की ज़रूरत है वो है कि सभी काम ईमानदारी से करना सुनिश्चित किया जाए. ये मेरी समझ से बाहर है जब इतने प्लेटफॉर्म पहले से मौजूद हैं तो बीएमसी को एक और एप की जरूरत क्यों पड़ी? ये आम आदमी के ज़ख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है.’
पंकज उपाध्याय