'सामना' में कांग्रेस पर हमला, BJP ने कहा- इन्हें कुर्सी से मतलब, कोरोना से नहीं

बीजेपी के प्रवक्ता राम कदम ने मंगलवार को कहा, ये लोग पुरानी खाट की आवाज पर बात कर रहे हैं, लेकिन दुख की बात है कि इन्हें महाराष्ट्र के अस्पतालों में बेड की कमी के चलते कोरोना मरीजों की मौत की कोई चिंता नहीं है.

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बीजेपी नेता राम कदम की फाइल फोटो बीजेपी नेता राम कदम की फाइल फोटो

कमलेश सुतार

  • मुंबई,
  • 16 जून 2020,
  • अपडेटेड 10:48 AM IST

  • राम कदम ने कहा- चीन बन गया महाराष्ट्र
  • सरकार को कोरोना मरीजों की फिक्र नहीं

शिवसेना के मुखपत्र सामना में मंगलवार को कांग्रेस के दो आला नेताओं अशोक चव्हाण और बालासाहेब थोराट पर निशाना साधा गया है. शिवसेना के इस हमले के बाद भारतीय जनता पार्टी ने महाविकास आघाड़ी को घेरा है. बीजेपी ने सामना के संपादकीय का हवाला देते हुए कहा कि इन्हें (सरकार) महाराष्ट्र में कोरोना की वजह से जान गंवाते लोगों की फिक्र नहीं है बल्कि केवल कुर्सी की चिंता है.

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बीजेपी के प्रवक्ता राम कदम ने मंगलवार को कहा, ये लोग (महाविकास आघाड़ी) पुरानी खाट की आवाज पर बात कर रहे हैं, लेकिन दुख की बात है कि इन्हें महाराष्ट्र के अस्पतालों में बेड की कमी के चलते कोरोना मरीजों की मौत की कोई चिंता नहीं है. महाविकास आघाड़ी सिर्फ खाट और कुर्सी के बारे में सोचने में मशगूल है. यह भी सोचने वाली बात है कि इतनी बेइज्जती के बाद क्या कांग्रेस और एनसीपी में कोई आत्मसम्मान बचा है? महाराष्ट्र चीन बन गया है (कोरोना के मामले में) और ये लोग आपस में ही लड़ने पर आमादा हैं.

बता दें, सामना के संपादकीय में लिखा गया है, '...खाट पर बैठे अशोक चव्हाण ने भी इंडियन एक्सप्रेस को साक्षात्कार दिया और उसी संयम से कुरकुराए, सरकार को कोई खतरा नहीं है लेकिन सरकार में हमारी बात सुनी जाए. प्रशासन के अधिकारी नौकरशाही विवाद पैदा कर रहे हैं. हम मुख्यमंत्री से ही बात करेंगे.' अब ऐसा तय हुआ कि कुरकुर की आवाज वाली खाट के दोनों मंत्री महोदय मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बात कहने वाले हैं. मुख्यमंत्री उनकी बात सुनेंगे और निर्णय लेंगे. लेकिन कांग्रेस क्या कहना चाहती है. राजनीति की यह पुरानी खटिया क्यों कुरकुर की आवाज कर रही है? हमारी बात सुनो का मतलब क्या है? यह भी सामने आ गया है. थोरात और चव्वाण दिग्गज नेता हैं, जिन्हें सरकार चलाने का बहुत बड़ा अनुभव है. हालांकि उन्हें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि इस तरह का दीर्घ अनुभव शरद पवार और उनकी पार्टी के लोगों को भी है. हालांकि कुरकुर या कोई आहट नहीं दिख रही.

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बता दें, महाराष्ट्र सरकार में मंत्री अशोक चव्हाण ने अभी हाल में एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में महाराष्ट्र सरकार की नौकरशाही के कामकाज पर प्रश्न उठाए थे और इसे दुरुस्त करने का आह्वान किया था. उनके इस बयान पर शिवसेना के मुखपत्र सामना में जवाब दिया गया है, जबकि एनसीपी प्रमुख शरद पवार की तारीफ की गई है. महाराष्ट्र में तीन दलों (महाविकास आघाड़ी) शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की सरकार है.

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