महाराष्ट्र: बारामती पुलिस की दरियादिली, दिव्यांग की मदद के लिए जुटाए 27000 रुपये

करीब 11 महीने से दिव्यांग को कोई काम नहीं मिला. इस वजह से लूना के लिए कर्ज की किस्त भी एक प्राइवेट फाइनेंशियल कंपनी को नहीं चुका पा रहे थे. जिसकी वजह से कंपनी की ओर से लगातार दिव्यांग पर दबाव बनाया जा रहा था.

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बारामती पुलिस ने की दिव्यांग की मदद बारामती पुलिस ने की दिव्यांग की मदद

पंकज खेळकर

  • पुणे ,
  • 10 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 12:54 PM IST
  • पुलिसवालों ने अपनी जेब से 27,000 रुपये इकट्ठा किए
  • दिव्यांग का कर्ज बारामती पुलिस के लोगों ने अपनी जेब से चुकाया
  • लॉकडाउन के बाद आर्थिक तंगी से परेशान था दिव्यांग

कौन कहता है कि पुलिस वालों का दिल किसी का दर्द देखकर नहीं पसीजता. ऐसा ही कुछ हुआ महाराष्ट्र के बारामती में. यहां 50 साल का एक दिव्यांग शख्स मंगलवार सुबह मेन पुलिस स्टेशन पर अपनी चारपहिया बाइक पर पहुंचा. उसका दर्द जानकर सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर नामदेव शिंदे ने तत्काल उस शख्स की मदद का फैसला किया. पुलिसवालों ने 27,000 रुपये इकट्ठा कर उस शख्स को सौंपे.   

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नामदेव ने भावुक लहजे में कहा, “मैं इस शख्स को देखकर हैरान रह गया. उसकी दोनों टांगें नहीं हैं लेकिन वो फिर भी किसी तरह ऊपर चढ़ कर पुलिस स्टेशन तक आया और उसने लॉकडाउन में अपने साथ बीती सुनाते हुए मदद की गुहार लगाई.”   

लॉकडाउन के दौरान दिहाड़ी काम करने वाले कई लोगों को काफी मुश्किल दिनों को देखना पड़ा. 50 साल के मधु वाइकर भी उनमें से एक हैं. दिव्यांग मधु अपनी चारपहिए वाली लूना बाइक पर शहर में जागरूकता जगाने वाले और प्रचार वाले संदेश लाउडस्पीकर पर बोलकर अपना गुजारा करते थे. मधु ने आजतक को बताया कि वो इस तरह हर दिन 500 रुपये के करीब कमा लिया करते थे. लेकिन कोरोना लॉकडाउन ने सब पर ब्रेक लगा दिया. 

करीब 11 महीने से उन्हें कोई काम नहीं मिला. इस वजह से लूना के लिए लिए कर्ज की किस्त भी एक प्राइवेट फाइनेंशियल कंपनी को नहीं चुका पा रहे थे. जिसकी वजह से कंपनी की ओर से लगातार मधु पर दबाव बनाया जा रहा था. मधु का एक ग्रेजुएट बेटा है जो बेरोजगार है. उनकी पत्नी एक शुगर मिल में सफाई कर्मचारी के तौर पर काम करती थी लेकिन लॉकडाउन में वो भी छूट गया. इन सारी परिस्थितियों ने मधु के घर की आर्थिक हालत बहुत खराब कर दी. 

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पुलिसवालों ने 27,000 रुपए इकट्ठा कर शख्स को सौंपे

मधु ने अपनी आपबीती पुलिस स्टेशन जाकर सुनाने का फैसला किया. साथ ही गुहार लगाई कि उसे फाइनेंशियल कंपनी के उत्पीड़न से बचाया जाए. साथ ही कहा कि अगर उसकी मदद नहीं की गई तो उनके सामने जान देने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा. सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर ने तत्काल फाइनेंशियल कंपनी और मधु के बीच बात कराई. कंपनी ने कर्ज पर जो ब्याज बकाया था वो माफ कर दिया.  

दूसरी तरफ नामदेव और पुलिस स्टेशन के इंचार्ज ने स्टाफ के 87 लोगों से मधु की मदद के लिए आगे आने की अपील की. देखते ही देखते स्टाफ ने 27,000 रुपये खुद इकट्ठा कर मधु पर बकाया सारी कर्ज की रकम को चुकता कर दिया.  

मधु के चेहरे पर आई मुस्कान ने ही बता दिया कि वो पुलिसवालों के इस मानवीय कदम के लिए कितना शुक्रगुजार है. मधु ने पुलिसवालों का शुक्रिया अपना एक हुनर दिखा कर किया. मधु मिमिक्री आर्टिस्ट भी हैं और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार की आवाज की हू-ब-हू नकल करते हैं.  

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