महाराष्ट्र में पिछले चार साल से भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना गठबंधन की सरकार है. इस दौरान सूबे में 12,021 किसानों ने आत्महत्या की यानी पिछले चार साल से रोजाना 8 किसान मौत को गले लगाते हैं. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले किसानों की खुदकुशी के ये आंकड़े भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना गठबंधन की सरकार को मुश्किल में डालने वाले हैं.
आपको बता दें कि महाराष्ट्र में इस साल के आखिर तक विधानसभा चुनाव होने हैं. महाराष्ट्र भीषण सूखा से जूझ रहा है और ऊपर से किसानों की आत्महत्या के आंकड़े बेहद चिंताजनक हैं. राहत और पुनर्वास मंत्री सुभाष देशमुख ने विधानसभा में सवाल का जवाब देते हुए बताया कि जनवरी 2015 से दिसंबर 2018 के बीच 12,021 किसानों ने आत्महत्या की, जिनमें से सिर्फ 6,888 किसानों यानी 57 फीसदी किसानों के परिजन ही आर्थिक सहायता पाने के योग्य पाए गए.
राहत और पुनर्वास मंत्री सुभाष देशमुख ने बताया कि राज्य सरकार ने इन मृतक किसानों के परिजनों को एक लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी है. उन्होंने कहा कि अब तक 6845 किसान आत्महत्या के मामलों में आर्थिक सहायता बांटी जा चुकी है. साल 2017 में राज्य सरकार ने किसानों की कर्जमाफी की योजना लेकर आई, ताकि किसानों को तनाव से बचाया जा सके.
देशमुख आगे बताया कि 2019 के शुरुआती तीन महीनों में 610 किसानों ने आत्महत्या की है. इसमें से 192 किसान सहायता राशि के योग्य पाए गए हैं. उन्होंने कहा कि विपक्ष फडणवीस सरकार को किसान आत्महत्या को मुद्दा बनाकर घेरने की कोशिश कर रहा है. इन आत्महत्याओं के लिए सरकार की गलत पॉलिसी को जिम्मेदार बताया जा रहा है.
जयंत पाटिल ने इस मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि हमने हमेशा कृषि संकट की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित किया है. चाहे कर्ज माफी हो या फसल ऋण सभी जरूरतमंद चीजें किसानों तक नहीं पहुंच रही हैं. इस प्रकार, उन्हें अधिक से अधिक वित्तीय संकट में धकेलना इस तरह के चरम कदमों के लिए अग्रणी कर रहा है.
वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री सुभाष देशमुख ने कहा कि सरकार किसानों की आत्महत्या को गंभीरता से ले रही है. बावजूद, अगर किसान आत्महत्या कर रहे हैं तो यह सरकार के लिए गंभीर विषय है. हमने किसानों का 24 हजार करोड़ का कर्ज माफ किया है. इसके अलावा छोटे किसान आसानी से खेती के लिए कर्ज ले सकते हैं.
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