कोरोना काल में महाराष्ट्र में यूं मनाया जाएगा गणेश उत्सव, उद्धव सरकार ने जारी की गाइडलाइंस

कोरोना संक्रमण को देखते हुए प्रदेश के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने लोगों से अपील की है कि महोत्सव के दौरान गाइडलाइंस का पूरा पालन करें. कोरोना महामारी को देखते हुए महाराष्ट्र में इस बार साधारण स्तर पर महोत्सव मनाने का फैसला किया गया है.

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गणेश उत्सव की फाइल फोटो गणेश उत्सव की फाइल फोटो

सौरभ वक्तानिया

  • मुंबई,
  • 12 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 7:37 AM IST

  • इस साल विसर्जन पर रोक की अपील
  • ऑनलाइन दर्शन और आरती की व्यवस्था

कोरोना संक्रमण का असर जिंदगी के हर पहलू पर पड़ रहा है. यहां तक कि धर्म और आस्था भी इससे अछूते नहीं रहे. महाराष्ट्र में गणेश उत्सव हर परिवार की पारंपरिक पूजा है. इसके अलावा महाराष्ट्र का गणेश उत्सव पूरी दुनिया में मशहूर है. इस बार कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं लेकिन सरकार ने इसके लिए गाइडलाइंस जारी कर दी हैं, जिसे ध्यान में रखते हुए पूजा की जा सकेगी.

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गाइडलाइंस में इस पर जोर दिया गया है कि भगवान गणेश की प्रतिमा की अधिकतम ऊंचाई कितनी होगी. सार्वजनिक स्थानों पर जो मूर्ति रखी जाएगी, उसकी ऊंचाई 4 फीट होगी जबकि घरों में इसे 2 फीट तक रखना है. संभव हो सके तो गणेश विसर्जन पर रोक रहेगी या इसे अगले साल किया जा सकता है. इसके साथ ही पूजा पंडालों में भव्य सजावट से भी बचना है.

कोरोना संक्रमण को देखते हुए प्रदेश के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने लोगों से अपील की है कि महोत्सव के दौरान गाइडलाइंस का पूरा पालन करें. कोरोना महामारी को देखते हुए महाराष्ट्र में इस बार साधारण स्तर पर महोत्सव मनाने का फैसला किया गया है.

सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन ये है-

1-पूजा से पहले सभी गणेश मंडलों को नगर निगम और स्थानीय प्रशासन ने अनुमति लेनी होगी.

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2-कोरोना संक्रमण को देखते हुए कोर्ट और निगम के आदेशों का पालन करते हुए सीमित संख्या में पंडाल (पवेलियन) बनाए जाएंगे. पूजा साधारण ढंग से कम से कम भव्य सजावटों के बीच की जाएगी.

3-सार्वजनिक स्थानों पर रखी जाने वाली प्रतिमा की ऊंचाई 4 फीट जबकि घरों में इसकी अधिकतम ऊंचाई 2 फीट रहेगी.

4-मेटल, मार्बल की मूर्तियों पर जोर. मूर्तियां एनवायरनमेंट फ्रेंडली हों और घर में ही विसर्जित की जाएं. घर में संभव न हो तो घर के निकट ही किसी बनाए गए स्थान पर विसर्जित की जाएं. इस साल इस पर रोक भी लगाई जा सकती है और अगले साल भाद्रपद में विसर्जन का काम किया जा सकता है.

5-अपनी इच्छा से पूजा के चंदे लिए जा सकते हैं. विज्ञापन हो लेकिन इसमें लोगों को भीड़ जुटाने की अपील नहीं होनी चाहिए. जो भी विज्ञापन दिए जाएं, उन्हें स्वास्थ्य और सामाजिक संदेशों पर केंद्रित रखा जा सकता है.

6-पूजा के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रमों के बजाय स्वास्थ्य से जुड़ी गतिविधियां की जा सकती हैं. जैसे कि रक्तदान कैंप आयोजित किए जाएं या कोरोना, मलेरिया, डेंगू की बीमारियों से बचने के उपाय को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जाए.

7-आरती, कीर्तन और अन्य धार्मिक कार्यक्रम के दौरान लोगों की भीड़ जमा न हो और सामाजिक दूरी के नियमों का उल्लंघन न किया जाए. ध्वनि प्रदूषण पर भी पूरा ध्यान देना होगा.

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8-भगवान गणेश के दर्शनों के लिए ऑनलाइन इंतजाम किए जाएं, जिसके लिए केबल नेटवर्क और फेसबुक जैसे माध्यमों का सहारा लिया सकता है.

9- गणपति मंडप का सैनिटाइजेशन होते रहना चाहिए और थर्मल स्क्रीनिंग का भी इंतजाम होना चाहिए. श्रद्धालुओं को मास्क लगाना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना जरूरी होगा. मंडपों में सैनिटाइजर की भी व्यवस्था होनी चाहिए.

10-श्री गणेश भगवान के आगमन और विसर्जन का जुलूस कार्यक्रम नहीं होगा. विसर्जन के स्थान पर जो आरती की जाती है, वह घर में ही की जाएगी और विसर्जन स्थल को कम समय में भी बंद कर दिया जाएगा. बच्चे और बुजुर्ग विसर्जन स्थल पर नहीं जाएंगे. विसर्जन के लिए एक साथ कई मूर्तियां बाहर नहीं निकाली जाएंगी.

11-नगर निगम, अलग-अलग बोर्ड, हाउसिंग सोसायटी, जनप्रतिनिधि और एनजीओ की मदद से कृत्रिम झीलें बनाई जाएं जिसमें मूर्ति विसर्जन का कार्यक्रम हो.

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