Elgar Parishad Case Updates: एनआईए ने गुरुवार को बॉम्बे हाईकोर्ट में एक हलफनामा दायर कर बताया है कि उसने एल्गार परिषद मामले में आरोपियों के सभी पत्रों को नहीं रोका है. एनआईए ने बताया कि आरोपियों की ओर से भेजे जा रहे कुछ पत्रों में 'आपत्तिजनक सामग्री' थी, इसलिए उन्हें रोक दिया गया है. एनआईए ने बताया कि सभी पत्रों को नहीं रोका गया है, लेकिन जो आपत्तिजनक थे, उन्हें रोका गया है.
एनआईए ने ये हलफनामा उस याचिका के जवाब में दायर किया गया है जिसमें दावा किया गया था कि एजेंसी आरोपियों के पत्रों को रोक रही है. ये याचिका एल्गार परिषद केस में आरोपी बनाए गए आनंद तेलतुम्बड़े की पत्नी रमा और वर्नन गोन्साल्वेस की पत्नी सुसैन की ओर से दाखिल किया गया था. आनंद तेलतुम्बड़े और वर्नन गोन्साल्वेस दोनों 2018 के एल्गार परिषद केस में आरोपी बनाए गए हैं.
एनआईए ने बताया कि याचिकार्ताओं का कहना है कि जेल अथॉरिटी ने आरोपियों के पत्रों को पूरी तरह से रोक दिया है, ये आरोप झूठा और भ्रामक है. एनआईए ने हलफनामे में बताया है कि विचाराधीन कैदियों को पत्र लिखने का अधिकार है, लेकिन कुछ प्रतिबंध भी हैं. महाराष्ट्र प्रिजन रूल में लिखा है कि कैदियों को ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होना चाहिए जो आपत्तिजनक, गुप्त या संदिग्ध हो. कैदियों के किसी भी आपत्तिजनक सामग्री के लिखने पर प्रतिबंध है. एजेंसी ने बताया कि जेल सुपरिंटेंडेंट को प्रिजन रूल की धारा 17(10) के तहत किसी भी आपत्तिजनक, गुप्त या संदिग्ध पत्र को आने-जाने से रोकने का अधिकार है.
ये भी पढ़ें-- 9 महीने पहले हुई थी गिरफ्तारी, एल्गार परिषद केस में क्या थे स्टेन स्वामी पर आरोप, जानें जांच से जुड़ी हर बात
जांच एजेंसी ने ये भी बताया कि पत्रों की जांच करने पर ये पाया कि आरोपी जो पत्र लिख रहे हैं, उसमें आपत्तिजनक सामग्री थी और इससे ट्रायल में बाधा आ रही थी. एनआईए ने बताया कि आरोपी प्रतिबंधित सामग्री को पत्र के रूप में प्रकाशित करने की कोशिश कर रहे थे.
इसके अलावा एनआईए ने ये भी बताया कि प्रोफेसर तेलतुम्बड़े ने अपनी पत्नी की आड़ में एक मैग्जीन के लिए आर्टिकल लिखा था और इससे ट्रायल पर प्रतिकूल असर पड़ेगा जो अभी शुरू भी नहीं हुआ है.
एनआईए ने अपने हलफनामें में कहा है कि इस याचिका को सुना नहीं जाना चाहिए था क्योंकि याचिकाकर्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन नहीं हुआ है. इसके अलावा ये याचिका आरोपियों की ओर से दाखिल नहीं हुई थी, जिनके अधिकारों का कथित रूप से उल्लंघन हुआ था.
विद्या