महाराष्ट्रः शिंदे के गांववाले बोले- 'एकनाथ ने ही कराया क्षेत्र का विकास, वही बनें सूबे की मुख्यमंत्री'

महाराष्ट्र में सियासी उठापटक के बीच एकनाथ शिंदे के गांववालों को उम्मीद है कि वह प्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे. दरे गांव के लोग कहते हैं कि एकनाथ शिंदे ने ही यहां का विकास कराया है. हम गांव वाले उनके समर्थन में खड़े हैं.

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एकनाथ शिंदे (फाइल फोटो) एकनाथ शिंदे (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • सातारा,
  • 27 जून 2022,
  • अपडेटेड 6:53 PM IST
  • महाराष्ट्र में सियासी संकट बना हुआ है
  • एकनाथ शिंदे को मिला गांववालों का समर्थन

सातारा जिले के महाबलेश्वर के पहाड़ी इलाके दरे गांव के रहने वाले और महाराष्ट्र के शहरी विकास और लोक निर्माण मंत्री व शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे ने सूबे की सियासत में भूचाल पैदा कर दिया है. बीते कई दिनों से वह लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं. वह इन दिनों कई विधायकों के साथ गुवाहाटी में हैं. इधर, महा विकास अघाड़ी सरकार पर संकट मंडरा रहा है. 

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58 वर्षीय शिंदे और उनके समर्थकों को भले ही ठाकरे के करीबी और शिवसेना के नेता-कार्यकर्ताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा हो, लेकिन उन्हें अपने गांव के लोगों का जोरदार समर्थन मिल रहा है. उनके गांव के लोग इस बात की उम्मीद लगाए बैठे हैं कि शिंदे मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं.

दरे गांव सतारा लोकसभा क्षेत्र के वाई-महाबलेश्वर विधानसभा क्षेत्र में आता है, जिसका प्रतिनिधित्व एनसीपी करती है. कोयना, कांदाटी क्षेत्र के सरपंच कहते हैं कि यह इलाका NCP का गढ़ रहा है, जो विकास किया है वो एकनाथ शिंदे ने ही किया है. एनसीपी ने यहां का यहां का कोई विकास नहीं किया.

गांव के लोग कहते हैं कि एकनाथ शिंदे ने कभी भी अपनी पार्टी के लिए गांव के लोगों को लुभाने की कोशिश नहीं की. स्थानीय लोग कहते हैं कि एकनाथ शिंदे हमेशा अपने गांव के विकास के लिए जुटे रहते हैं. गांव मे चौथी कक्षा तक स्कूल है, लेकिन बड़ा अस्पताल नहीं है, इलाज के लिए तापोला जाना पड़ता है.

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गांव वाले बताते हैं कि वह कभी स्थानीय स्तर पर किसी भी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं रहे, लेकिन उन्होंने गांव में विकास कार्यों की शुरुआत की है. वह जो फैसला लेते हैं, हम गांव वाले उनके साथ खड़े रहते हैं. हम भगवान से प्रार्थना करते रहे हैं कि वह मुख्यमंत्री बनें और हमारे गांव को गौरवान्वित करें. (रिपोर्ट- इम्तियाज)

 

दरे गांव महाबलेश्वर से लगभग 70 किमी दूर स्थित है. कोयना नदी के तट पर बसे इस गांव में सिर्फ 30 घर हैं. गांव एक तरफ जंगल और दूसरी तरफ कोयना से घिरा है. इसके अधिकांश घरों में ताला लगा हुआ है, क्योंकि यहां रहने वाले प्रवासी मजदूर हैं, जिनके पास गांव में आय का कोई नियमित साधन नहीं है. लिहाजा उन्हें मुंबई और पुणे में काम करने के लिए जाना पड़ता है. स्थानीय लोगों के मुताबिक दारे गांव में दो हेलीपैड है. एकनाथ शिंदे जब भी गांव आते हैं, चॉपर से ही आते हैं. 
 

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