भगवानगढ़ में सभा की इजाजत ना मिलने पर खेत में हुई पंकजा मुंडे की रैली, उमड़ पड़ा जनसैलाब

जिला प्रशासन ने ग्राम विकास एवं महिला और बाल कल्याण मंत्री पंकजा मुंडे को भगवानगढ़ में सभा करने की इजाजत नहीं दी. लेकिन पहाड़ी के नीचे खुले मैदान में जनसभा की अनुमति दे दी गई. मुंडे की सभा में भारी संख्या में लोग शामिल हुए.

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पंकजा मुंडे की महासभा पंकजा मुंडे की महासभा

पंकज खेळकर / सुरभि गुप्ता

  • पुणे,
  • 12 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 10:16 PM IST

अहमदनगर के भगवानगढ़ में सभा करने की इजाजत नहीं मिलने पर महाराष्ट्र की मंत्री पंकजा मुंडे की महासभा भगवानगढ़ पहाड़ी के नीचे खेत में हुई, जिसमें भारी संख्या में लोग शामिल हुए.

विजयादशमी यानी दशहरे के शुभ दिन महाराष्ट्र में अहमदनगर के भगवानगढ़ में 1994 से बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे बीड और अहमदनगर इलाके के लोगों को संबोधित करते आए हैं, जो कि एक प्रथा बन गई थी. गोपीनाथ मुंडे के निधन के बाद 2014 और 2015 में भगवानगढ़ से उनकी बेटी पंकजा मुंडे ने जनसमुदाय को संबोधित किया, लेकिन इस साल भगवानगढ़ के ट्रस्ट द्वारा प्रस्ताव पारित किया गया कि भगवानगढ़ से कोई भी राजनैतिक भाषण या सभा नहीं होगी.

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इसके चलते पिछले कई दिनों से भगवानगढ़ के महंत नामदेव शास्त्री और पंकजा मुंडे के बीच विवाद छिड़ा हुआ था. विवाद इस हद तक पहुंच गया कि एक-दूसरे को धमकाने का ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिससे और भी विवाद बढ़ गया और पंकजा मुंडे को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा.

भारी सुरक्षा के बीच हुई महासभा
जिला प्रशासन ने ग्राम विकास एवं महिला और बाल कल्याण मंत्री पंकजा मुंडे को भगवानगढ़ में सभा करने की इजाजत नहीं दी. लेकिन पहाड़ी के नीचे खुले मैदान में जनसभा की अनुमति दे दी गई. तनाव के मद्देनजर जिला प्रशासन को बड़ी संख्या में पुलिस बल की मदद लेनी पड़ी. वंजारी समाज के लोग जिनकी भगवान बाबा के प्रति आस्था है बड़ी संख्या में भगवानगढ़ पहुंचे. उत्सव का दिन होने के कारण और पंकजा मुंडे, प्रीतम मुंडे को देखने और सुनने को इतनी बड़ी भीड़ उमड़ पड़ी. किसी भी तरह के टकराव की संभावना को देखते हुए मंदिर इलाके में तीन हजार पुलिसकर्मी लगाए गए. इनमें डीजी स्तर का एक अधिकारी, 6 जिलों के पुलिस अधिक्षक भी तैनात किए गए थे, जिनकी निगरानी में सुरक्षा के इंतेजाम किए गए.

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मुंडे की महासभा में उमड़ पड़ा जनसैलाब
पंकजा मुंडे हेलीकॉप्टर से पहाड़ी के नीचे उतरते ही वहां मुंडे परिवार के जयघोष के नारे लगने लगे. लगातार गोपीनाथ मुंडे, पंकजा मुंडे की तारीफ में नारेबाजी होती रही. दूसरी ओर भगवानगढ़ के महंत नामदेव शास्त्री और धनंजय मुंडे की आलोचना वाले नारे भी लगते रहे. पंकजा मुंडे, उनकी बहन प्रीतम मुंडे रथ पर सवार होकर पहाड़ी के मंदिर में जाकर भगवान बाबा के मंदिर दर्शन करने पहुंची. तभी भगवानगढ़ मंदिर में पंकजा मुंडे के प्रवेश करते ही बाहर के लोगों द्वारा पत्थरबाजी भी हुई, जिसमें कुछ पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए, लेकिन स्थिति पर तुरंत नियंत्रण पा लिया गया और पत्थरबाजी ज्यादा देर नहीं हुई.

पहाड़ी से मैदान में लौटने के बाद भाषण के दौरान पंकजा मुंडे ने बिना किसी का नाम लिए पत्थरबाजी के लिए विरोधी गुट को जिम्मेदार ठहराया और उन्हें आतंकी कहने से भी नहीं चूकीं. पंकजा मुंडे ने कहा, 'मैं यहां हिम्मत दिखाने आई हूं. जो लोग यहां आए योद्धाओं के पीछे से कुछ करने का षड्यंत्र करते हैं, वो आतंकवादी प्रवृत्ति के लोग हैं. लेकिन तुम लोग योद्धा हो और मुझे तुम पर अभिमान है. ये जंग हम लोगों के आपस की जंग नहीं है, बल्कि प्रवृत्ति से जंग है. वो प्रवृत्ति जो खुदके स्वार्थ के लिए समाज में दरार पैदा कर सकती है. ऐसी प्रवृत्ति के लोग कभी समाज में ज्यादा दिन टिक नहीं सकते.'

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अपने भाषण में पंकजा मुंडे ने बताया कि कैसे उन्हें नीचा दिखाने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने जनसमुदाय के लिए जिद छोड़कर मैदान में सभा की है. पंकजा मुंडे ने कहा, 'मुझे यहां सभा लेनी पड़ी क्योंकि मुझे बताया गया कि ऊपर कानून व्यवस्था की समस्या होगी क्योंकि मैं एक मंत्री हूं. मैं मंत्री बाद में हूं, पहले मैं एक नागरिक हूं. भगवान बाबा की भक्त हूं. गोपीनाथ मुंडे की बेटी हूं और बाद में मंत्री हूं. मैंने मेरे जीवन में कभी कुछ गलत नहीं किया है और ना ही आगे कुछ गलत करुंगी. भगवान बाबा के सामने नतमस्तक होकर मैं यहां मेरे बच्चो के लिए, आपके लिए यहां आई हूं.'

बहुत बड़ी संख्या में भीड़ होने के कारण पंकजा बोलीं कि आज भगवान बाबा भी खुश होंगे कि लोग हमारा साथ दे रहे हैं. पंकजा मुंडे ने कहा, 'आज भगवान बाबा मुंडे जी को बोल रहे होंगे कि तुम्हीं देखो जनता किसके साथ है. मैंने अगर मेरे से किसी भी जाति के, धर्म के व्यक्ति को मेरे से दूर रखा होगा, तो मेरे लिए इतनी बड़ी संख्या में कड़ी धूप में दशहरे के दिन यहां नहीं आए होते. आपका ये ऋण मैं जिंदगी में कभी लौटा नहीं पाऊंगी. मेरी चमड़ी के जूते भी बनाए जाए, फिर भी मैं आपके उपकारों तले दबी रहूंगी.'

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विरोधियों को दी राक्षस की उपाधि
पंकजा ने विरोध करने वालों और उनके रास्ते में रोड़े डालने वालों का नाम लिए बगैर उन पर तीखे वार किए और उन्हें राक्षसों की उपाधि दे डाली. पंकजा ने कहा, 'अधर्म का काम करने वालों का खात्मा करना है. देवी सात्विक होती हैं, सादगी भरी होती हैं. देवी के चहरे पर माता का रूप झलकता है, लेकिन जब देवी दुर्गा का अवतार लेती है, तो उसे शांत करने शंकर भगवान को उनके आगे नतमस्तक होना पड़ता है. चंड और मुंड राक्षस का वध दुर्गा देवी ने दुर्गाष्टमी के दिन किया था, मुझे भी चंड और मुंड राक्षस का वध करना है.'

पंकजा ने पूरे महाराष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य से दो कलंक को मिटाना है. दहेज और कन्या भ्रूण हत्या, इन दो राक्षसों का खात्मा करना है. खुदको अर्जुन की भूमिका में बताते हुए पंकजा मुंडे ने कहा, 'आज मैं जब लड़ने निकली हूं, तो मेरी परिस्थिति गांडीवधारी अर्जुन जैसी हो गई है. धनुषधारी अर्जुन को कृष्ण ने बताया था कि जब भी अधर्म धर्म पर हावी होता है. तब सामने कौन है, ये नहीं देखते, सिर्फ देखना है कि अगर वो अधर्मी है, तो उससे लड़ना है और इसीलिए मैं सही रास्ते पर निकल पड़ी हुं.'

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