आज उद्धव और राज ठाकरे करेंगे गठबंधन का ऐलान, जानिए महाविकास अघाड़ी के बाकी दलों का क्या है स्टैंड

बीएमसी सहित 29 नगर निगम चुनाव को लेकर उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे में बात बन गई है, लेकिन महाविकास अघाड़ी में बात बिगड़ गई है. राज ठाकरे के चलते कांग्रेस ने उद्धव ठाकरे से भी किनारा कर लिया है तो शरद पवार की पार्टी कशमकश की स्थिति में है.

Advertisement
उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे में बनी बात (Photo-ITG) उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे में बनी बात (Photo-ITG)

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 24 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:55 AM IST

महाराष्ट्र में बीएमसी सहित 29 नगर निगम चुनावों के लिए 'ठाकरे ब्रदर्स' के बीच गठबंधन फाइनल हो गया है. बुधवार को मुंबई के वर्ली स्थित होटल 'ब्लू सी' में दोपहर 12 बजे शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गठबंधन का औपचारिक ऐलान करेंगे. इस दौरान सीट शेयरिंग की घोषणा की जाएगी कि शिवसेना (यूबीटी) और मनसे कितनी-कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे.

Advertisement

उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस महाराष्ट्र की राजनीति और आगामी बीएमसी चुनाव के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. 20 साल की सियासी दुश्मनी को भुलाकर ठाकरे ब्रदर्स एक साथ आए हैं ताकि बीजेपी-शिंदे की जोड़ी से मुकाबला कर सकें. राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच अब सियासी केमिस्ट्री बन गई है. ऐसे में महाविकास अघाड़ी के घटक दल कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी कहाँ खड़ी हैं और उनका स्टैंड क्या है?

ठाकरे ब्रदर्स में बन गई बात

शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने ट्वीट कर बताया है कि बुधवार को उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस करके गठबंधन का ऐलान करेंगे. राउत ने स्पष्ट किया कि शिवसेना (यूबीटी) और मनसे के बीच सीटों का बंटवारा सफलतापूर्वक हो गया है और इसमें किसी तरह की कोई खींचतान नहीं है.

Advertisement

संजय राउत ने कहा कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे का गठबंधन मुंबई की बीएमसी सहित ठाणे, कल्याण-डोंबिवली, पुणे, पिंपरी-चिंचवाड़, नासिक और छत्रपति संभाजीनगर नगर निगम में एक साथ चुनाव लड़ेगा. राउत ने कहा कि कार्यकर्ताओं ने इस गठबंधन को स्वीकार कर लिया है और कोई असहमति नहीं है.

बता दें किएमएनएस नेता नितिन सरदेसाई और बाला नांदगांवकर सोमवार देर शाम ‘मातोश्री’ पहुंचे, जहां उन्होंने उद्धव ठाकरे से मुलाकात कर गठबंधन को अंतिम रूप दिया था. बताया जा रहा है कि बीएमसी की कुल 227 सीटों में से शिवसेना (यूबीटी) 150 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी. वहीं, राज ठाकरे की एमएनएस 60 से 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. इसके अलावा बची सीटें एनसीपी (शरदचंद्र पवार गुट) और अन्य छोटे सहयोगी दलों को दिए जाने की संभावना है.

यह भी पढ़ें: बीएमसी चुनावों में ठाकरे विरासत ही नहीं, कई दलों का भविष्‍य है दांव पर

राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच सीट शेयरिंग का फॉर्मूला बन रहा था, लेकिन दूसरे नगर निगम की कुछ सीट पर मामला फंस गया गया. इस वजह से मंगलवार को होने वाली प्रेस कॉफ्रेंस टल गई थी, लेकिन देर शाम तक मामला सुलझा लिया गया. ऐसे में अब उद्धव और राज ठाकरे खुद प्रेस कॉफ्रेंस करके गठबंधन का ऐलान करेंगे.

Advertisement

उद्धव-राज ठाकरे क्यों आए साथ?

ठाकरे ब्रदर्स के बीच लंबे समय से राजनीतिक मतभेद थे, लेकिन वे अब एक साथ आने को रजामंद हो गए हैं. बीजेपी से गठबंधन तोड़ने के बाद से उद्धव ठाकरे की शिवसेना कमजोर पड़ी है. पहले सत्ता गंवानी पड़ी, फिर पार्टी शिंदे के हाथ में चली गई और अब निकाय चुनावों में बीजेपी-शिंदे गठबंधन से कड़ी चुनौती मिल रही है. यही वजह है कि उद्धव और राज आपसी गिले-शिकवे भुलाकर साथ आए हैं.

यह भी पढ़ें: क्या सब कुछ ठीक है? आखिरी वक्त पर टला उद्धव-राज के गठबंधन का ऐलान, 'ठाकरे ब्रांड' बचाने की चुनौती कितनी बड़ी

महाराष्ट्र की राजनीति में बीएमसी का नियंत्रण राज्य की सत्ता के समान माना जाता है. बीजेपी की कोशिश है कि बीएमसी से ठाकरे परिवार के वर्चस्व को खत्म कर अपना कब्जा जमाया जाए, जबकि उद्धव ठाकरे के लिए यह चुनाव अपनी साख बचाने का आखिरी मौका है। पिछले पांच सालों के सियासी संग्राम में 'ब्रांड ठाकरे' को काफी नुकसान हुआ है, जिसके चलते उद्धव की राजनीति हाशिए पर पहुंच गई है.

उद्धव-राज ठाकरे क्यों आए साथ?

ठाकरे ब्रदर्स यानी उद्धव और राज ठाकरे के बीच लंबे समय से राजनीतिक मतभेद थे, लेकिन वे अब एक साथ आने रजामंद हो गए हैं. बीजेपी से गठबंधन तोड़ने के बाद से उद्धव ठाकरे की शिवसेना कमजोर पड़ी है. पहले सत्ता गंवाई, फिर शिंदे के हाथों पार्टी खोना पड़ा और अब निकाय चुनाव में करारी मात बीजेपी-शिंदे से खानी पड़ी है. यही वजह है कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे आपसी गिले-शिकवे भुलाकर साथ आए हैं ताकि बीएमसी चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति से मुकाबला कर सकें.

Advertisement

महाराष्ट्र की राजनीति में बीएमसी का नियंत्रण राज्य की सत्ता के समान माना जाता है. बीजेपी इस कोशिश में है कि बीएमसी से ठाकरे परिवार के वर्चस्व को खत्म कर अपना कब्जा जमाया जाए , जबकि उद्धव ठाकरे के लिए यह चुनाव अपनी साख बचाने का आखिरी मौका है. महाराष्ट्र में पिछले पांच सालों के सियासी संग्राम में सबसे ज्यादा नुकसान तो ब्रांड ठाकरे को हुआ है, जिसके चलते उद्धव ठाकरे की पूरी सियासत हाशिए पर पहुंच गई है. ऐसे में उद्धव और राज ने मिलकर बीजेपी और शिंदे से दो-दो हाथ करने का फैसला किया है.

महाविकास अघाड़ी के घटक दलों का स्टैंड

उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे में एक तरफ बात बनी तो दूसरी बार कांग्रेस के साथ बात खराब हो गई. इस तरह से विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी में दरार पड़ गया है. ठाकरे बंधु एकजुट हुए तो कांग्रेस ने महा विकास अघाड़ी से अलग अकेले चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है. उद्धव के साथ कांग्रेस तभी साथ रहना चाहती है, जब राज ठाकरे को साथ ना लिया जाए.

यह भी पढ़ें: क्या बीएमसी और निकाय चुनाव अकेले लड़ेगी कांग्रेस? देखें मुंबई मेट्रो

कांग्रेस की शर्त को उद्धव ठाकरे ने स्वीकार नहीं किया और राज ठाकरे के साथ दोस्ती बनाने की पठकथा लिखी. हालांकि, शिवसेना (यूबीटी) चाहती थी कि उद्धव-राज ठाकरे के गठबंधन के साथ कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी भी गठबंधन का हिस्सा रहे, लेकिन कांग्रेस इस पर तैयार नहीं हुई. संजय राउत ने राहुल गांधी तक से फोन पर बातचीत किया, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व ने महाराष्ट्र की स्थानीय लीडरशिप पर छोड़ दिया. एमवीए के तीनों घटक दल यानी कि शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी एक साथ नहीं है.

Advertisement

कांग्रेस बना रही अलग नया गठबंधन

उद्धव की सेना ने साफ कर दिया कि वह राज ठाकरे की मनसे के साथ ही बीएमसी चुनाव लड़ेगी तो कांग्रेस ने भी बीएमसी चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया है. हालांकि वह समान विचारधारा वाले दलों से संपर्क साध रही है. कांग्रेस प्रकाश आंबेडकर की वंचित बहुजन आघाड़ी (वीबीए) से भी बातचीत कर रही है.

कांग्रेस अपने साथ शरद पवार को भी जोड़ना चाहती है, जिसके लिए एनसीपी से भी बात कर रही है. मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष और सांसद वर्षा गायकवाड़ के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने शरद पवार से मुलाकात भी की थी. नगर परिषद और नगर पंचायत चुनाव में महा विकास अघाड़ी में सबसे बेहतर प्रदर्शन कांग्रेस का रहा है. ऐसे में कांग्रेस को लग रहा है कि अकेले चुनाव लड़ने का उसे फायदा मिलेगा और अगर राज ठाकरे के साथ हाथ मिलाने से नुकसान का खतरा है.

कांग्रेस ने राज ठाकरे के साथ गठबंधन करने से साफ इनकार किया है, क्योंकि मनसे की उत्तर भारतीयों और मुस्लिमों के खिलाफ आक्रामक छवि कांग्रेस के वैचारिक टकराव होगा. ऐसे कांग्रेस महाराष्ट्र के नगर निगम चुनाव में उद्धव-राज ठाकरे से अलग राह तलाश रही है, जिसके लिए समान विचाराधारा वाले दलों को जोड़ने का प्लान है.

Advertisement

कशमकश में फंसी शरद पवार की पार्टी

शरद पवार की पार्टी अपने पत्ते नहीं खोल रही है. शरद पवार की पार्टी के नेता जरूर बयान दे रहे हैं कि बीजेपी के खिलाफ सामूहिक लड़ाई लड़ी जाए, इसके लिए एमवीए साथ मिलकर लड़े. इस तरह से शरद पवार की पार्टी ठाकरे बंधुओं और कांग्रेस, दोनों से ही बातचीत में जुटी है. ऐसे में कहा जा रहा है कि बीएमसी चुनाव के लिए शरद पवार गुट के नेता कांग्रेस को महाविकास अघाड़ी में बने रहने पर जोर दे रहे हैं, लेकिन कांग्रेस तैयारी नहीं है.

शरद पवार की पार्टी बीएमसी और बाकी के नगर निगम चुनाव के लिए अलग ही स्टैटेजी पर काम कर रहे हैं. मुंबई के बीएमसी चुनाव के लिए कांग्रेस और उद्धव ठाकरे को साथ लेकर चुनाव लड़ना चाहती है तो पुणे की नगर निगम में अजीत पवार की पार्टी के साथ हाथ मिलाने की रणनीति पर काम कर रही है. अजित पवार बीएमसी चुनाव में महायुति के साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, जिसके लिए कांग्रेस और शरद पवार की पार्टी के साथ हाथ मिलाने के लिए प्लानिंग कर रहे हैं.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement