राफेल पर राहुल गांधी के साथ अन्ना हजारे, डील को बताया घोटाला

Anna Hazare Rafale deal कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बयान का समर्थन करते हुए अन्ना हजारे ने भी राफेल विमान सौदे को घोटाला बताया है. उन्होंने कहा कि अगर लोकपाल लागू हो गया होता तो यह स्कैम नहीं होता.

Advertisement
Anna Hazare (PTI) Anna Hazare (PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 22 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 9:59 AM IST

राफेल विमान सौदे को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सुर में सुर मिलाए हैं. उन्होंने इस सौदे को घोटाला बताते हुए कहा कि अगर लोकपाल विधेयक लागू हो गया होता है, ऐसा स्कैम नहीं हो पाता. राफेल डील को ईमानदार बताने वाली मोदी सरकार पर अन्ना हजारे का यह बयान काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

Advertisement

अन्ना हजारे ने अपने एक बयान में सोमवार को यह बात कही कि अगर लोकपाल विधेयक लागू हो गया होता तो राफेल जैसा घोटाला नहीं हुआ होता. लोकपाल और लोकायुक्त गठन करने समेत किसानों की कर्जमाफी की मांग को लेकर 30 जनवरी से बेमियादी भूख-हड़ताल करने जा रहे अन्ना हजारे ने राफेल डील से जुड़े विवाद पर कांग्रेस के आरोपों को दोहराया.

अन्ना हजारे ने कहा, 'उन्हें समझ नहीं आता है कि जो कंपनी मार्च में बनी, उसे अप्रैल में बगैर किसी तजुर्बे के ठेका कैसे दे दिया गया. मेरे पास राफेल के संबंध में कुछ कागजात हैं और मैं उसका अध्ययन करूंगा, फिर मसले को उठाऊंगा.'

बता दें कि राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी राफेल डील में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए यह दावे करते रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनिल अंबानी की नई नवेली कंपनी को राफेल जैसा महत्वपूर्ण विमान बनाने का ठेका दिया. राहुल गांधी सीधे तौर पर पीएम मोदी पर अनिल अंबानी को इस डील के जरिए 30 हजार करोड़ का लाभ पहुंचाने का आरोप लगाते हैं.

Advertisement

कांग्रेस व राहुल गांधी के इन आरोपों को सही ठहराते हुए अन्ना हजारे ने राफेल विमान सौदे को घोटाला बताया है. इसके साथ ही उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार पर लोकपाल विधेयक के संबंध में संवैधानिक संस्थाओं के फैसले की उपेक्षा करने का भी आरोप लगाया. उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा सरकार देश को तानाशाही की तरफ ले जा रही है.

30 जनवरी से भूख हड़ताल

अन्ना हजारे ने भूख-हड़ताल का ऐलान करते हुए कहा कि वह लोकपाल और लोकायुक्त के गठन की मांग को लेकर 30 जनवरी से अपने गांव रालेगण सिद्धि में अंतिम सांस तक उपवास रखने जा रहे हैं. उन्होंने कहा है कि देश को लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर चलाने के लिए संवैधानिक संस्था के तौर पर संसद बनाई गई है. लोकसभा और राज्यसभा दोनों ने लोकपाल विधेयक को पारित किया है, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार लोकपाल के बारे में पूछा है. इसके बावजूद सरकार लोकपाल की नियुक्ति करने को तैयार नहीं है. अन्ना हजारे की इस हड़ताल में किसान भी हिस्सा लेंगे.

उन्होंने कहा, 'यह कैसी सरकार है, जो संवैधानिक संस्थाओं की भी नहीं सुनती है? बनिये की दुकान और सरकार में क्या अंतर है? सरकार संवैधानिक संस्थाओं के फैसले को लागू नहीं कर रही है और देश को लोकतंत्र से तानाशाही की ओर ले जा रही है. मेरा मानना है कि इससे हमारे लोकतंत्र को खतरा है.'

Advertisement

बता दें कि लोकपाल विधेयक राज्यसभा में 17 दिसंबर, 2013 को पारित हुआ था और लोकसभा में इसे 18 दिसंबर, 2013 को पारित कर दिया गया था. राष्ट्रपति ने एक जनवरी, 2014 को लोकपाल और लोकायुक्त कानून पर अपनी मुहर लगा दी थी.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement