मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के डीएम की एक ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. इस ऑडियो क्लिप में डीएम एक पत्रकार को हड़काते हुए सुनाई दे रहे हैं. अपने इस व्यवहार को लेकर जिलाधिकारी खूब चर्चा में हैं. ये ऑडियो क्लिप प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष ने अपने ट्विटर से भी शेयर की है, जिसके बाद उनके निलंबन की मांग जोर पकड़ रही है.
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने डीएम अनय द्विवेदी की एक ऑडियो क्लिप को ट्विटर से शेयर किया, जिसके बाद से प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया है. यह ऑडियो एक महीने पुराना है, जब 17 अप्रैल की रात को डीएम जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं को देखने पहुंचे थे. वहां की अव्यवस्थाओं को लेकर वे भड़क गए. उन्होंने सफाई और सुरक्षा का कार्य देखने वाली एक निजी फर्म के सुपरवाइजर को बुलवाया. सुपरवाइजर ने जब डीएम को अपनी समस्या बताई, तो डीएम ने उसकी सुनने की बजाए हड़काना शुरू कर दिया.
इस दौरान वहां मौजूद एक मीडियाकर्मी से भी जिलाधिकारी ने अभद्रता कर दी थी, जिसका ऑडियो किसी ने रिकॉर्ड कर लिया, जो अब वायरल हो रहा है. इस मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने कहा कि सरकारी अधिकारियों की दादागीरी चरम पर है. उन्होंने कहा कि खंडवा डीएम सरकारी कर्मचारियों को जेल भेजने की धमकी देते हैं और मीडिया वालों से अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं, वहीं मुख्यमंत्री उनकी पीठ थपथपाने का काम करते हैं.
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उन्होंने कहा कि ऐसे जिलाधिकारी से सभी त्रस्त हैं. जिस तरह छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने सूरजपुर के कलेक्टर के खिलाफ कार्रवाई की, हमारी भी मांग है कि खंडवा के डीएम का भी तुरंत निलंबन होना चाहिए और एक संवेदनशील अधिकारी को यहां भेजना चाहिए. बताया गया है कि खंडवा डीएम अनय द्विवेदी अपनी तुनक मिजाजी के लिए जाने जाते हैं. प्रेस को लेकर भी उनका रवैया बहुत नकारात्मक है. शासन-प्रशासन की नाकामियों को लेकर छपने वाली खबरों को लेकर उन्होंने कई स्थानीय पत्रकारों को न केवल धमकाया बल्कि उन्हें बाकायदा नोटिस तक थमा दिया.
डीएम अनय द्विवेदी ने कहा कि ऑडियो दो महीने पुराना है. मेडिकल कॉलेज में जो हाउसकीपिंग की एजेंसी सेवाएं दे रही थी, उसे लेकर काफी शिकायतें मिल रहीं थीं. कंपनी के कर्मचारियों द्वारा अभद्र व्यवहार किए जाने और शराब पीने जैसी शिकायतें मिल रही थीं. मरीजों को समय पर खाना नहीं मिल पा रहा था. इन शिकायत के बाद भोपाल से वरिष्ठ अधिकारी को बुलाकर समझाया गया था. उस दौरान किसी प्रकार का अभद्र व्यवहार नहीं किया गया. उनके खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई थी. उनके कार्य में अब सुधार है.
जय नागड़ा