टिकट न मिलने से खफा ग्वालियर की मेयर का इस्तीफा, हिंदी में गलतियों को लेकर उड़ रहा मजाक

इस्तीफे के बाद पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता ने कहा कि जो 15 साल से कछुए की तरह रेंग रहा है उसी को पार्टी बार-बार ला रही है.

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समीक्षा गुप्ता (तस्वीर- फेसबुक) समीक्षा गुप्ता (तस्वीर- फेसबुक)

अजीत तिवारी

  • नई दिल्ली,
  • 14 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 9:07 PM IST

मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी से टिकट नहीं मिलने के कारण नाराज पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता ने इस्तीफा दे दिया है. इस इस्तीफे के बाद लोग उनके 'इस्तीफे' को लेकर मजाक बना रहे हैं. दरअसल, समीक्षा अपने त्याग पत्र की भाषा को लेकर लोगों के निशाने पर हैं.

लोग उनकी भाषायी गलतियों को लेकर मजाक बना रहे हैं. उनके इस्तीफे वाले पत्र में कई गलतिया हैं. इधर, समीक्षा ने पार्टी छोड़ने के बाद कहा कि जो 15 साल से कछुए की तरह रेंग रहा है उसी को पार्टी बार-बार मौका दे रही है. उन्होंने जन दरबार लगाया और BJP से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान भी किया. जानकारी के मुताबिक समीक्षा गुप्ता ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह को इस्तीफा भेज दिया है.

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समीक्षा गुप्ता ने ग्वालियर दक्षिण से टिकट की दावेदारी की थी, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. उनके बजाय भाजपा ने लगातार 3 बार के विधायक और मंत्री नारायण सिंह कुशवाह को प्रत्याशी बनाया है. टिकट वितरण के बाद ही समीक्षा गुप्ता और उनके पति राजीव गुप्ता ने नाराजगी जताई थी. मंगलवार शाम को अपने घर पर जन दरबार लगाकर समीक्षा गुप्ता ने भाजपा से इस्तीफा दिया और निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया और कहा कि भाजपा में परिवारवाद सबसे ज्यादा है.

बता दें कि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने समीक्षा गुप्ता और उनके पति को मनाने की बहुत कोशिश की थी. सुबह संभागीय संगठन मंत्री शैलेन्द्र बरुआ, प्रवक्ता राजेश सोलंकी और शाम को मंत्री व ग्वालियर दक्षिण से भाजपा प्रत्याशी नारायण सिंह कुशवाह भी उनसे मिलने उनके घर पहुंचे थे और समीक्षा गुप्ता ने रात को केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ओर प्रभात झा से मुलाकात की, लेकिन समीक्षा नहीं मानीं.

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समीक्षा गुप्ता पहले ही ग्वालियर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अपना नामांकन दाखिल कर चुकी हैं और उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की है.

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राजेश सोलंकी ने कहा है कि समीक्षा के पार्टी छोड़ने और ना छोड़ने से कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा बल्कि उनके करियर पर ही विपरीत प्रभाव पड़ेगा. पार्टी ने उनको सब कुछ दिया, पार्षद बनाया, महापौर बनाया. माना जा रहा है कि पार्टी छोड़कर उन्होंने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है.

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