आजादी के 70 साल बीत जाने के बाद भी देश के नौनिहालों को स्कूल तक का सफर दो किलोमीटर के दलदली रास्ते को पार करके जाना पड़े, तो सरकारी सिस्टम पर यकीनन गुस्सा आता है, लेकिन उससे भी ज्यादा तरस उन बच्चों पर आता है, जो रोजाना डरते सहमते हुए स्कूल तक पहुंचते हैं.
दो किलोमीटर लंबा है दलदल वाला रास्ता
मध्य प्रदेश के मंडला जिले की पिछले कई सालों से यही तस्वीर बनी हुई है. जिस कीचड़ के दलदल वाले रास्ते में कोई अपना पैर भी नहीं रखना चाहता, उसी रास्ते से होकर बच्चे रोजाना स्कूल तक का सफर तय करते हैं. दलदल वाला ये रास्ता छोटा-मोटा नहीं, बल्कि पूरे दो किलोमीटर लंबा है.
कीचड़ से सन जाती हैं किताबें
कई बार तो इन नौनिहालों को घुटने-घुटने तक कीचड़ से होकर गुजरना पड़ता है. कभी किसी का पैर फिसलता है, तो कभी कोई पूरा का पूरा कीचड़ से सन जाता है. बच्चों की मानें तो कई बार इनको चोट भी लगती है. यूनिफॉर्म और कॉपी-किताबें भी कीचड़ से सन जाती हैं.
आश्वासन के सिवा कुछ नहीं दिया गया
यहां रहने वाले बच्चों के अभिभावक कलेक्टर से लेकर मंत्रियों के दरवाजे तक ना जाने कितनी बार खटखटा चुके हैं, पर किसी ने भी आश्वासन से आगे इनके लिए कुछ नहीं किया. इस बारे में जब जिला पंचायत सीईओ जे विजय कुमार से बात की गई, तो उन्होंने भी आश्वासन ही दिया कि सड़क सैंक्शन हो गई हैं और बारिश के बाद सड़क बन जाएगी.
रवीश पाल सिंह / सुरभि गुप्ता