झारखंड: PM मोदी की 'आदर्श ग्राम योजना' फेल, कुंए का गंदा पानी पी रहे लोग

झारखंड में भी आदर्श ग्राम योजना फेल हो चुकी है. हैरानी की बात यह है कि बीते जनवरी में रांची के सांसद के गोद लिए आदर्श ग्राम वाले पंचायत में अफीम की अवैध खेती भी पायी गयी थी.

Advertisement
हहाप गांव की तस्वीर हहाप गांव की तस्वीर

अजीत तिवारी / धरमबीर सिन्हा

  • रांची,
  • 04 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 5:14 PM IST

प्रधानमंत्री सांसद आदर्श ग्राम योजना की घोषणा के बाद इसे लेकर लोगों में काफी उत्साह था. इसके तहत पूरे देश के सांसदों को तीन-तीन गांवों को गोद लेकर उसके संपूर्ण विकास के लिए योजनाएं चलाने की बात कही गई थी. ताकि यह दूसरे गांवों के लिए मिसाल बन सके. लेकिन तीन साल बीतने के बाद भी अधिकतर आदर्श ग्राम में अभी तक बुनियादी सुविधाएं भी मुयस्सर नहीं हैं. झारखंड में भी आदर्श ग्राम योजना फेल हो चुकी है. हैरानी की बात यह है कि बीते जनवरी में रांची के सांसद के गोद लिए आदर्श ग्राम वाले पंचायत में अफीम की अवैध खेती भी पाई गई थी.

Advertisement

दरअसल तीन साल बाद भी कोई परियोजना पूरी नहीं हुई. नामकुम इलाके के हहाप गांव को बीजेपी सांसद रामटहल चौधरी ने तीन साल पहले को गोद लिया था. शुरुआती दौर में यहां योजनाएं लागू करने का काम जोर-शोर से शुरू हुआ, लेकिन फिर बात आगे नहीं बढ़ी. हैरानी की बात यह है कि सांसद महोदय गोद लेने के बाद से इस गांव में मात्र दो या तीन बार ही आए हैं.

दरअसल, आदर्श ग्राम के तहत जहां लोगों को पक्के मकान के साथ-साथ घर में पानी, बिजली, स्वास्थय, शिक्षा की व्यवस्था का वादा किया गया था. वो भी कहीं नजर नहीं आता.

लोगों को घर तक पानी मुहैय्या कराने और घर में पानी की टंकी लगाने की बात थी वो शुरू ही नहीं हुई है. गांव में बिजली के लिए खम्भे तो गड़ गए, तार भी लग गए, कुछ दिनों के लिए बिजली भी आई, लेकिन अब यहां बिजली के दर्शन कभी-कभार ही होते हैं. लोग मोबाइल चार्जिंग जैसी जरूरतों के लिए गांव में मौजूद एकमात्र सोलर पैनल पर निर्भर हैं.

Advertisement

गांव में पीने के पानी के लिए कल भी लगा लेकिन एक सीजन के बाद से वो भी सूखा पड़ा है. लोग पीने के पानी के लिए एक अदद कुंए पर निर्भर हैं. जिसका पानी भी काफी गंदा है. पीने के लिए लोगों को इसके पानी को छानना पड़ता है.

वहीं, शौचालय का निर्माण तो हुआ लेकिन पानी के आभाव में लोग उसका उपयोग नहीं करते. जहां तक शिक्षा की बात है, गांव में मौजूद एकमात्र राजकीयकृत मध्य विद्यालय में 100 छात्र नामांकित हैं, लेकिन उनके ऊपर मात्र 2 शिक्षक हैं. इसमे से एक अक्सर विभागीय कार्य में ही व्यस्त रहते हैं. ऐसे में गांववाले काफी मायूस हैं और अपनी नाराजगी जताने से भी गुरेज नहीं करते.

सांसद ने नहीं चुना दूसरा गांव

आदर्श ग्राम के तहत मिलने वाली सुविधाओं के अब तक शुरू नहीं होने की बात गांव की मुखिया भी मानती हैं. उनका कहना है कि गर्मी के दिनों में पानी नहीं मिलने से यहां के हालात काफी बदतर हो जाते हैं. उनका मानना है कि योजनाएं शुरू तो हुईं पर अब तक पूरी नहीं हुईं.

मुखिया ने बताया कि गांव में स्वास्थ्य उपकेंद्र की सबसे अधिक जरूरत है लेकिन गुहार लगाने के बाद भी अब तक कोई काम नहीं हुआ है. वैसे सांसद महोदय ने अपना दूसरा गांव भी अब तक नहीं चुना है. जबकि प्रधानमंत्री के निर्देशानुसार सभी सांसदों को तीन-तीन गांव को गोद लेना था. झारखण्ड के दूसरे सांसदों का भी कमोबेश यही हाल है. झारखण्ड की कुल 14 में 12 सांसद बीजेपी के हैं और इनके गोद लिए गावों का हाल भी कमोबेश यही है.

Advertisement

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement