रांची में पत्थलगड़ी समर्थकों का एलान- झारखंड विधानसभा और हाईकोर्ट के सामने करेंगे पत्थलगड़ी

सोमवार को राज्य के विभिन्न जिलों से जुटे दो सौ से अधिक पत्थलगड़ी समर्थक हाई कोर्ट के सामने शिलापट्ट लगाने के लिये अड़े हुए थे. पुलिस ने उन्हें ये कहते हुए रोका था कि राज्यपाल से अनुमति के बाद इसकी इजाजत दी जा सकती है. इसी मामले पर पत्थलगड़ी समर्थक राज्यपाल से मिलने पहुंचे थे

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रांची पहुंचे पत्थलगड़ी समर्थक (फाइल फोटो) रांची पहुंचे पत्थलगड़ी समर्थक (फाइल फोटो)

सत्यजीत कुमार

  • रांची,
  • 23 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 9:23 AM IST
  • आदिवासियों के अधिकारों को लागू करने की मांग है
  • पत्थलगड़ी समर्थक झारखंड की राजधानी पहुंचे
  • 5वीं और 6वीं अनुसूची में उल्लेखित हैं आदिवासी अधिकार

राजधानी रांची में शिलापट्ट लेकर पत्थलगड़ी समर्थक सोमवार से घूम रहे हैं. सोमवार को हाईकोर्ट के सामने शिलापट्ट लगाने से रोकने के बाद मंगलवार को पत्थलगड़ी समर्थकों के प्रतिनिधमंडल ने राज्यपाल से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद पत्थलगड़ी समर्थकों ने एलान किया है कि वे झारखंड विधानसभा व हाई कोर्ट के सामने पत्थलगड़ी अवश्य करेंगे.

राज्यपाल से मिलकर निकले पत्थलगड़ी समर्थकों ने बताया कि राज्यपाल ने उन्हें कहा है कि यह संवैधानिक मामला है और इसका अध्ययन करने के बाद ही निर्णय से अवगत कराया जायेगा. मालूम हो कि सोमवार को राज्य के विभिन्न जिलों से जुटे दो सौ से अधिक पत्थलगड़ी समर्थक हाई कोर्ट के सामने शिलापट्ट लगाने के लिये अड़े हुए थे. पुलिस ने उन्हें यह कहते हुए रोका था कि राज्यपाल से अनुमति के बाद इसकी इजाजत दी जा सकती है. इसी मामले पर पत्थलगड़ी समर्थक राज्यपाल से मिलने पहुंचे थे

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बता दें कि सोमवार को हाई कोर्ट के समक्ष जब शिलापट्ट लगाने से पत्थलगड़ी समर्थकों को रोका गया था, तब हंगामा भी हुआ था. पुलिस-प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई थी. कुडुख नेशनल काउंसिल के बैनर तले कई जिलों से पत्थलगड़ी समर्थक जुटे थे.

मंगलवार को पड़हा समिति के लोगों ने कहा है कि पांचवीं और छठी अनुसूची पैरा 6 के उप पैरा 2 के तहत दिए गए आदिवासियों के अधिकार को यहां की सरकार और अधिकारी लागू नहीं होने देना चाहते. पड़हा समिति ने कहा कि यहां के आदिवासी के अधिकारों को कुचला जा रहा है. आदिवासी शोषण के शिकार हो रहे हैं. पत्थलगड़ी कराने आए लोगों ने कहा कि पांचवी और छठी अनुसूची के तहत झारखंड के आदिवासियों पर कोई केस मुकदमा लागू नहीं होता और इनका कानून भी अलग है.

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इनपुट- आकाश 

 

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