झारखंड की बात करें, तो यहां कुपोषण बुरी तरह हावी है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार 50 फीसद बच्चे अंडरवेट हैं. कुपोषण की इस गंभीर समस्या को राज्य से समाप्त करने के लिए सरकार ने मोबाइल कुपोषण उपचार वैन की शुरुआत की है. वर्ष 2022 तक कुपोषण की समस्या को दूर करने और इसकी संख्या में 10 से 15 प्रतिशत की कमी दर्ज करने का लक्ष्य रखा गया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड को कुपोषण मुक्त राज्य बनाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है.
सरकार की ये नई शुरुआत कुपोषण से जूझ रहे झारखंड के चतरा जिले के लिये किसी वरदान से कम नहीं हैं. इस जिले में बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं. वहीं कुपोषण की समस्या का स्थाई तौर पर समाधान सरकार के लिये किसी चुनौती से कम नहीं था, लेकिन मोबाइल कुपोषण उपचार वैन से उम्मीद की एक नई किरण जाग उठी है.
इससे उन दूर दराज के क्षेत्रों में भी कुपोषित बच्चों को उपचार दिया जा सकेगा, जहां स्वास्थ्य सेवाएं आसानी से नहीं पहुंच पा रही थीं. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि स्वस्थ बच्चों के बिना कोई समाज समृद्ध नहीं हो सकता है. राज्य के बच्चों और बहनों की थालियों में पोषक तत्वों से भरपूर भोजन सुनिश्चित करने के लिए दीदी बाड़ी योजना शुरू की गई है. इसके अलावा अन्य आवश्यक कदम भी उठाए जा रहे हैं.
बनाया गया है रूट चार्ट
बता दें कि राज्य के सभी जिलों में कुपोषण उपचार केंद्र की पर्याप्त संख्या नहीं है. ऐसे स्थानों पर मोबाइल कुपोषण वैन से उपचार किया जाएगा. सबसे आसान बात तो ये है कि मोबाइल वैन को जरूरत के हिसाब से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है. वैन के एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्रा के लिए जिला प्रशासन द्वारा रूट चार्ट बनाया गया है. 15 दिवसीय शिविर समाप्त करने के बाद वैन दूसरे स्थान पर जायेगी. शुरुआत के दिनों में ये शिविर उन स्थानों पर लगाया जायेगा, जहां कुपोषितों की संख्या अधिक है.
वैन में हैं ये व्यवस्थाएं
वैन को सभी सुविधाओं से सुसज्जित किया गया है. वैन में खाना पकाने का सामान जैसे स्टोव, पैंट्री आइटम आदि के अलावा वजन मापने की मशीन, स्टैडोमीटर, एमयूएसी / ग्रोथ चार्ट और अन्य चिकित्सा जांच उपकरण भी हैं. पायलट प्रोजेक्ट के तहत डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट के फंड से एक वैन से इसकी शुरुआत की गई है. इसके बाद वैनों की संख्या बढ़ाने की भी योजना है.
सत्यजीत कुमार