लिट्टीपाड़ा उपचुनाव के परिणाम बदल सकते हैं झारखंड की सियासी तस्वीर!

लिट्टीपाड़ा में होने वाले उपचुनाव के परिणाम से राज्य की राजनीति पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है. इस वजह से सभी प्रमुख पार्टियां इस सीट पर कब्जा करने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रही हैं.

Advertisement
प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर

धरमबीर सिन्हा

  • रांची,
  • 03 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 10:49 PM IST

लिट्टीपाड़ा में होने वाले उपचुनाव के परिणाम से राज्य की राजनीति पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है. इस वजह से सभी प्रमुख पार्टियां इस सीट पर कब्जा करने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रही हैं. उपचुनाव में जीत-हार अगले साल होने वाला राज्यसभा चुनाव को भी प्रभावित करेगी. जीतने वाले दल के लिए राज्यसभा का रास्ता आसान होने की संभावना है.

Advertisement

दो सांसदों का राज्यसभा कार्यकाल पूरा होने वाला है
कांग्रेस के टिकट पर राज्यसभा पहुंचे सांसद प्रदीप कुमार बलमुचू और JMM के टिकट पर चुने गए संजीव कुमार का कार्यकाल अप्रैल-2018 में पूरा हो रहा है. ये दोनों 2012 में चुनाव जीत कर राज्यसभा पहुंचे थे. लेकिन इस बार इनके लिए वापसी करना आसान नहीं दिख रहा है. वर्तमान में विधानसभा में दलगत स्थिति के अनुसार एक सीट पर जीत के लिए प्रथम वरीयता के 27 वोट चाहिए. फिलहाल बीजेपी के पास 43 विधायक हैं. अगर लिट्टीपाड़ा उपचुनाव में उसके प्रत्याशी हेमलाल मुर्मू को जीत मिलती है तो बीजेपी के पास 44 विधायक होंगे. वहीं बीजेपी की सहयोगी आजसू, बीएसपी, झापा, जय भारत समानता पार्टी को मिला कर आठ विधायक हैं. ऐसे में इन्हें जोड़ने के बाद बीजेपी के पास 52 का आंकड़ा होता है. यानि उसके लिए अगले साल होने वाले राज्यसभा चुनाव की दोनों सीट पर जीत दर्ज करना आसान हो जाएगा.

Advertisement

उपचुनाव में हार का मतलब बीजेपी की मुश्किलें बढ़ेंगी
झामुमो उम्मीदवार साइमन मरांडी की जीतने की स्थिति में बीजेपी के लिए दोनों सीट पर जीत दर्ज करना मुश्किल होगा. इस स्थिति में झामुमो 19, कांग्रेस 07, और शेष छोटे दलों के चार वोट के सहारे दूसरे सीट पर विपक्ष की दावेदारी मजबूत होगी. पिछले राज्यसभा चुनाव में वोट होने के बाद भी हार का सामना करने वाली झामुमो इसलिए चुनाव को लेकर ज्यादा गंभीर है. इसलिए मुख्यमंत्री रघुवर दास बीते तीन दिनों से लिट्टीपाड़ा में चुनावी जनसभा कर रहे हैं. वहीं बीजेपी कोटे के मंत्री और पार्टी पदाधिकारी यहां कैंप कर रहे हैं. जबकि दूसरी तरफ झामुमो का पूरा कुनबा भी प्रचार में लगा है. आखिरी समय में शिबू सोरेन को भी चुनाव प्रचार में उतारा गया है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement