झारखंड: चुंबन प्रतियोगिता कराने पर अड़े मरांडी, बीजेपी ने कहा- रोम और लंदन नहीं बनाएं

झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक साइमन मरांडी ने 15 दिसंबर को चुंबन प्रतियोगिता कराने की घोषणा की है. इसका बीजेपी और कई आदिवासी संगठन विरोध कर रहे हैं. संगठनों का कहना है कि मरांडी झारखंड को रोम और लंदन न बनाएं झारखंड ही रहने दें.  

Advertisement
आद‍िवास‍ियों की सभा (Photo:aajtak) आद‍िवास‍ियों की सभा (Photo:aajtak)

धरमबीर सिन्हा / श्याम सुंदर गोयल

  • रांची,
  • 05 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 6:06 PM IST

बीते साल झारखंड के पाकुड़ में 9 दिसंबर को विवाहित जोड़ों के बीच चुंबन प्रतियोगिता कराने वाले साइमन मरांडी ने इस साल फिर इसे कराने की घोषणा की है. इस साल भी आयोजन यहीं हो रहा है ज‍िसकी 15 दिसंबर तारीख रखी गई है. लिट्टीपाड़ा से झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक साइमन मरांडी को प्रतियोगिताआयोजित कराने की वजह से पार्टी ने कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था लेकिन उन्होंने इसका जवाब मौखिक तौर पर दिया था.

Advertisement

बीजेपी बोली- किसी शर्त पर नहीं होने देंगे आयोजन  

प्रदेश बीजेपी ने विरोध करते हुए कहा कि किसी भी शर्त पर चुंबन प्रतियोगिता का आयोजन नहीं होने दिया जाएगा. चुंबन प्रतियोगिता पर कड़ी आपत्ति  जताते हुए पार्टी ने कहा है कि मरांडी ने साफ दिखा दिया है कि वह और उनका दल झारखंड की परंपराओं की धज्जी उड़ाने में लगाहुआ है. बीजेपी का कहना है कि झामुमो, झारखंड को रोम और लंदन नहीं बनाए, यहां पाश्चात्य संस्कृति लागू नहीं हो सकती.

पार्टी ने मरांडी को चेतावनी देते हुए कहा कि इस बार भाजपा की सरकार ऐसी प्रतियोगिता का आयोजन किसी भी कीमत पर नहीं होने देगी. पार्टी के मुताबिक अश्लील प्रतियोगिता के आयोजन की वकालत ऐसे नेताओं की भ्रष्ट मानसिक स्थिति को दर्शाती है. दूसरी तरफ झारखंड मुक्ति मोर्चा का शीर्ष नेतृत्व भी ऐसी प्रतियोगिताओं को गलत नहीं मानता है. अगर  ऐसा होता तो मरांडी के खिलाफ पार्टी कार्रवाई करती.

Advertisement

कई आदिवासी-सरना संगठनों ने भी किया है विरोध 

झामुमो विधायक साइमन मरांडी की घोषणा का बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है. कई आदिवासी संगठन इसके खिलाफ हैं. झारखंड आदिवासी सरना विकास समिति ने आयोजन पर रोक लगाने की मांग भी उठाई है. इन संगठनों का मानना है कि ऐसे में आयोजन होने से कानून-व्यवस्था बिगड़ सकतीहै. विभिन्न संगठनों द्वारा भी राज्य के मुख्य सचिव को तमाम परिस्थितियों से अवगत कराते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की है.

इन संगठनों ने इसे आदिवासी सांस्कृतिक विरासत पर ईसाई मिशनरी का हमला बताया है. बीते साल भी कई सामाजिक संगठनों ने इस प्रतियोगिता का विरोध,आदिवासी समाज को दिग्भ्रमित करने व इसे बदनाम करने का कुचक्र कह कर किया था.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement