झारखंड में 230 लोगों ने राष्ट्रपति को खत लिखकर मांगी इच्छामृत्यु की इजाजत

रेल मंत्रालय का दावा है कि, इस रास्ते में रेल ट्रैक के नीचे कोयले की खदान में आग जल रही है और आगे भी आग का खतरा है. लेकिन इलाके में काम ठप्प होने और जीवन यापन पर मार पड़ने के चलते 230 लोगों ऐसा खत लिखने को मजबूर हो गए हैं. दरअसल, यही एक रेल लाइन है जो इस इलाके को एक तरफ राजधानी रांची और दूसरी तरफ आदिवासी बहुल संथाल परगना को जोड़ती है.

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230 लोगों ने राष्ट्रपति को खत लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की है. 230 लोगों ने राष्ट्रपति को खत लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की है.

आदित्य बिड़वई / कुमार विक्रांत

  • रांची ,
  • 19 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 8:56 PM IST

झारखंड के कतरास में 230 लोगों ने राष्ट्रपति को खत लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की है. दरअसल, झारखंड में रेल मंत्रालय ने 15 जून 2017 को 34 किलोमीटर लंबी धनबाद- चंद्रपुर रेल लाइन को बंद कर दिया था. ये रेल लाइन 1894 से चल रही थी.

रेल मंत्रालय का दावा है कि, इस रास्ते में रेल ट्रैक के नीचे कोयले की खदान में आग जल रही है और आगे भी आग का खतरा है. लेकिन इलाके में काम ठप्प होने और जीवन यापन पर मार पड़ने के चलते 230 लोगों ऐसा खत लिखने को मजबूर हो गए हैं. दरअसल, यही एक रेल लाइन है जो इस इलाके को एक तरफ राजधानी रांची और दूसरी तरफ आदिवासी बहुल संथाल परगना को जोड़ती है.

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हाल में झारखंड कांग्रेस के प्रभारी आरपीएन सिंह से भी इन लोगों ने मुलाकात कर अपनी व्यथा बताई. इसके बाद आरपीएन सिंह ने इस पूरे मामले पर रेल मंत्री पीयूष गोयल को खत लिखकर रेल लाइन बन्द करने पर फिर से विचार करने को कहा है. आरपीएन ने खत में लिखा है कि, 26 जोड़ी ट्रेन रोजाना 3 लाख यात्रियों और 20 हज़ार टन कोयले को लाती ले जाती थी. कुल मिलाकर करीब 7 लाख लोग इससे सीधे तौर पर प्रभावित हैं.

आरपीएन ने सवाल खड़ा करते हुए कहा कि, उसी इलाके में राष्ट्रीय राजमार्ग का काम जारी है, वो कैसे? बिना वैकल्पिक व्यवस्था के रेल लाइन का अचानक बन्द होना परेशानी का सबब है.

इस बारे में आरपीएन ने आजतक को बताया कि, 'जब वो झारखंड के कतरास के दौरे पर गए थे, तब एक एनजीओ ने ऐसे लोगों से मिलवाया जो इच्छा मृत्यु की मांग को लेकर राष्ट्रपति समेत तमाम संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों को खत लिख चुके हैं. इसलिए मैंने रेल मंत्री पीयूष गोयल को खत लिखकर बन्द रेल लाइन पर पुनर्विचार करने को कहा है और जरूरत पड़ने पर स्थानीय लोगों के साथ इस मसले पर चर्चा के लिए वक़्त भी मांगा है.

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