राज्य के गुमला जिले के सिसई प्रखंड में ठगी की अजीबोगरीब घटना घटी है. साधु के वेश में तीन ठग घर में पहुंचे और उनमें से एक साधु ने खुद को उसी घर का खोया हुआ बेटा बताया. साधु के वेश में आए तीनों ठगो ने परिवार से पैसे की ठगी की और फरार हो गए. पुलिस ने जांच पड़ताल की और मामले में तीनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. तीनों साधु उत्तर प्रदेश निवासी अरुण योगी, मोहम्मद फारूक, मोहम्मद सफरुद्दीन शामिल हैं.
इस संबंध में थानेदार सत्यम गुप्ता ने बताया कि पुरुषों थाना की कुलकुपी महुआ टोली गांव निवासी हैं. चौथी देवी ने ठगी के आरोप में प्राथमिक दर्ज कराई थी. उसके बाद पुलिस ने छापामारी दल का गठन कर उपरोक्त तीनों अपराधियों को गिरफ्तार किया तो उनके पास से 5 हजार नगद, दो सारंगी और चार मोबाइल मिले.
आवेदन के अनुसार 12 साल पहले चौथी देवी का देवर शुकरमण उरांव घर से लापता था. रविवार की सुबह 8:00 तीनों ठग साधु के भेष में उसके घर आए और एक साधु अरुण खुद को सुकरमण उरांव बताने लगा. साथ ही वह पूरे परिवार का नाम बताने लगा. उसकी बातों में सभी आ गए. ठग साधु ने सन्यासी जीवन छोड़ने और गृहस्थ जीवन में शामिल होने के लिए 10 हजार साधुओं के लिए भंडारा के आयोजन की शर्त रख दी. साथ ही बताया की लगभग तीन लाख रुपए का खर्च भंडारे के आयोजन पे होगा. तत्काल 10 हजार रुपयों और कुछ कपड़ों की मांग की. भरोसा कर चौथी देवी ने साधुओं को 10 हजार और कुछ कपड़े दे दिए.
इसके बाद वार्ड सदस्य और ग्रामीणों से मालूम हुआ कि वह तीनो ठग थे. उन्हीं तीनों ठगो द्वारा शिवनाथपुर गांव की दुखमनी देवी को भी ठगा गया है. वहां ठगो ने उसके 15 साल से गायब पति चमरा उरांव बनकर ठगने का प्रयास किया गया था. परंतु गांव वालों की सूझबूझ से दुखनी देवी ठगी से बच गई थी.
जब इसकी जानकारी पुलिस को हुई तो एक छापेमारी दल का गठन पुलिस ने की. दल का नेतृत्व थाना प्रभारी सत्यम गुप्ता खुद कर रहे थे. मामले की जांच के दौरान पाया गया कि तीनों ठग यूपी के रहने वाले हैं और तीनों अल्पसंख्यक समुदाय के हैं. तीनों को न्यायिक हिरासत में लेकर सलाखों में भेजा जा रहा है.
सत्यजीत कुमार