झारखंड आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक सदस्यों में से एक स्वर्गीय बिनोद बिहारी महतो के पुत्र राजकिशोर महतो का निधन हो गया है. राजकिशोर महतो गिरिडीह से सांसद भी रह चुके हैं. इसके साथ ही वह टुंडी और सिंदरी विधानसभा से विधायक भी रहे. बुधवार को महतो ने धनबाद के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली.
झारखंड के पुरोधा स्वर्गीय बिनोद बिहारी महतो के पुत्र और टुंडी के पूर्व विधायक राजकिशोर महतो नहीं रहे. उनकी धनबाद के जालान अस्पताल में मौत हो गई. उनके निधन की सूचना स्वजनों और उनके शुभचिंतकों को दी गई है. सूचना मिलते ही पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है.
राजकिशोर को मंगलवार को ही तबीयत बिगड़ने पर जालान अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इसके पहले भी सप्ताह भर पूर्व उन्हें सेंट्रल अस्पताल में भर्ती कराया गया था. तब वे ठीक होकर घर लौट गए थे, लेकिन मंगलवार रात उनकी तबीयत बिगड़ गई. चिकित्सकों के अनुसार उनके फेफड़ों में पानी भर गया था. चिकित्सकों ने काफी कोशिश की लेकिन उनकी स्थिति बिगड़ती चली गई. आखिरकार उन्होंने आखिरी सांस ली.
राजकिशोर महतो आईएसएम धनबाद से पासआउट है. उन्होंने विधि की भी पढ़ाई की थी. वे पेशे से अधिवक्ता थे. वर्ष 1991 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक अध्यक्ष और अपने पिता बिनोद बिहारी महतो के निधन के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा. छात्र जीवन में भी झारखंड मुक्ति मोर्चा के आंदोलनों में शरीक होते रहे थे.
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1991 में अपने पिता के निधन से खाली हुए गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र से उन्होंने चुनाव लड़ा और जीते भी. बाद में वे सिदरी और टुंडी विधानसभा क्षेत्र के विधायक भी चुने गए. वे झारखंड विधि आयोग के अध्यक्ष भी रहे. फिर भारतीय जनता पार्टी से होते हुए महतो आजसू में शामिल हुए और पिछले विधानसभा चुनाव में उन्हें मथुरा प्रसाद महतो से करारी शिकस्त मिली थी.
महतो की कोविड-19 जांच भी कराई गई थी. हालांकि वह निगेटिव निकले थे.
सिथुन मोदक