झारखंड: रांची में कांग्रेस की खेत बचाओ रैली, कृषि कानून के खिलाफ होगा प्रदर्शन

कांग्रेस के मुताबिक इस रैली में उनके सभी सांसद और विधायक मौजूद रहेंगे और एक साथ मिलकर केंद्र सरकार के किसान विरोधी फैसले की मुखालफत करेंगे.

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ट्रैक्टर रैली निकालेगी कांग्रेस (फाइल फोटो) ट्रैक्टर रैली निकालेगी कांग्रेस (फाइल फोटो)

सत्यजीत कुमार

  • रांची,
  • 09 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 11:22 AM IST
  • कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन करेगी कांग्रेस
  • नामकुम से निकाली जाएगी रैली
  • कांग्रेस का आरोप, किसान विरोधी है कृषि कानून

झारखंड के रांची में सोमवार सुबह 11 बजे नामकुम स्थित रामपुर चौक से कांग्रेस नेता ट्रैक्टर पर सवार होकर खेत बचाओ यात्रा की शुरुआत करेंगे. यह यात्रा केंद्र सरकार के किसान कानून के खिलाफ निकाली जाएगी. कांग्रेस का आरोप है कि केंद्र सरकार ने नए कृषि कानून के रास्ते फार्म सेक्टर में पूंजीवादियों के लिए रास्ता खोल दिया है. जो एक किसान विरोधी फैसला है. केंद्र सरकार के फैसले से स्पष्ट है कि वो किसानों को अपने जड़ों से हटाना चाहती है. जिसका हमलोग पूरजोर विरोध करते हैं. इसलिए हमलोगों ने खेत बचाओ रैली का आगाज किया है. 

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कांग्रेस के मुताबिक इस रैली में उनके सभी सांसद और विधायक मौजूद रहेंगे और एक साथ मिलकर केंद्र सरकार के किसान विरोधी फैसले की मुखालफत करेंगे. इस मौके पर कांग्रेस, प्रदेश के तीन लाख किसानों के हस्ताक्षर जमा करेगी और पार्टी हेडक्वाटर यानी दिल्ली भेजेगी. जिसके बाद पार्टी हाईकमान यह ज्ञापन राष्ट्रपति को सौपेंगे और केंद्र सरकार के इस फैसले को वापस लेने की मांग करेंगे. कांग्रेस ने इस कानून को किसान विरोधी बताते हुए कहा कि हमारा मानना है कि यह कानून एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य)  को खत्म करने के लिए लाई गई है. 

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क्या है ये बिल?

किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल-2020 राज्य सरकारों को मंडियों के बाहर की गई कृषि उपज की बिक्री और खरीद पर कोई कर लगाने से रोक लगाता है और किसानों को इस बात की आजादी देता है कि वो अपनी उपज लाभकारी मूल्य पर बेचे. सरकार का तर्क है कि इस बिल से किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी.

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आवश्यक वस्तु (संशोधन) बिल -2020 करीब 65 साल पुराने वस्तु अधिनियम कानून में संशोधन के लिए लाया गया है. इस बिल में अनाज, दलहन, आलू, प्याज समेत कुछ खाद्य वस्तुओं (तेल) आदि को आवश्यक वस्तु की लिस्ट से बाहर करने का प्रावधान है. सरकार का तर्क है कि इससे प्राइवेट इन्वेस्टर्स को व्यापार करने में आसानी होगी और सरकारी हस्तक्षेप से मुक्ति मिलेगी. सरकार का ये भी दावा है कि इससे कृषि क्षेत्र में विदेशी निवेश को बढ़ावा मिल सकेगा.

मूल्य आश्वासन तथा कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता बिल-2020 में प्रावधान किया गया है कि किसान पहले से तय मूल्य पर कृषि उपज की सप्लाई के लिए लिखित समझौता कर सकते हैं. केंद्र सरकार इसके लिए एक आदर्श कृषि समझौते का दिशा-निर्देश भी जारी करेगी, ताकि किसानों को मदद मिल सके और आर्थिक लाभ कमाने में बिचौलिए की भूमिका खत्म हो सके.

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