बूढ़ा अमरनाथ यात्रा: VHP नेताओं के स्वागत में जुटे पुंछ के मुसलमान, आतंकी हमले को बताया सरहद पार की स

स्थानीय मुस्लिमों की ओर से यात्रियों के लिए नाश्ते और चाय-पानी का प्रबंध भी किया गया था. इस दौरान पूरे जोश के साथ लोगों ने भारत माता की जय के नारे भी लगाए.

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बूढ़ा अमरनाथ यात्रा बूढ़ा अमरनाथ यात्रा

राकेश उपाध्याय / सुरभि गुप्ता

  • पुंछ,
  • 16 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 7:37 AM IST

जम्मू-कश्मीर के पुंछ में बूढ़ा अमरनाथ यात्रा में तीर्थयात्रियों की बस पर आतंकियों के ग्रेनेड हमले के महज दो दिन पहले विश्व हिंदू परिषद की पूरी केंद्रीय टीम बूढ़ा अमरनाथ यात्रा पर पहुंची, जहां स्थानीय मुसलमानों ने उनका जोरदार स्वागत किया.

फूल-मालाओं से किया गया स्वागत
इस यात्रा की अगुआई खुद वीएचपी के अंतर्राष्ट्रीय महामंत्री चंपत राय ने किया. इस यात्रा के दौरान चप्पे-चप्पे पर जहां जबर्दस्त सुरक्षा बंदोबस्त थे, तो वहीं बड़ी तादाद में स्थानीय मुस्लिमों ने भी ढोल-नगाड़े और फूल-मालाओं के साथ वीएचपी की केंद्रीय टोली का स्वागत किया.

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आतंकी वारदात होने की आशंका
बजरंग दल के पूर्व राष्ट्रीय संयोजक और यूपी में बीजेपी के मौजूदा उपाध्यक्ष प्रकाश शर्मा ने 'आज तक' संवाददाता से बताया कि वीएचपी और बजरंग दल के सैकड़ों कार्यकर्ता 9 अगस्त से बूढ़ा अमरनाथ यात्रा पर निकले थे, उस समय भी आतंकी वारदात होने की आशंका सुरक्षा बलों ने जताई थी. इसके बावजूद कार्यकर्ताओं ने बूढ़ा अमरनाथ यात्रा पर जाने का कार्यक्रम ना टालने का फैसला लिया.

यात्रियों के लिए किया नाश्ते का प्रबंध
यात्रा में बड़ी बात ये रही कि करीब 250 से ज्यादा मुसलमानों ने 9 अगस्त को विश्व हिंदू परिषद के नेताओं का पुंछ के मंडी नामक स्थान पर भव्य स्वागत किया. स्थानीय मुस्लिमों की ओर से यात्रियों के लिए नाश्ते और चाय-पानी का प्रबंध भी किया गया था. इस दौरान पूरे जोश के साथ लोगों ने भारत माता की जय के नारे भी लगाए.

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पहले कभी नहीं हुआ ऐसा स्वागत
वीएचपी के महामंत्री चंपत राय, संयुक्त महामंत्री राजेंद्र सिंह पकंज समेत सभी नेताओं को स्थानीय मुस्लिमों की ओर से फूल-मालाएं दी गई. विश्व हिंदू परिषद के नेताओं का इस तरह से जम्मू-कश्मीर में मुस्लिमों की ओर से स्वागत कार्यक्रम पहले नहीं देखा गया.

आतंकियों से तंग आ चुके हैं लोग
प्रकाश शर्मा के मुताबिक बूढ़ा अमरनाथ यात्रा पर आतंकियों का हमला उनकी हताशा को दिखा रहा है. पूरे राजौरी और पुंछ में ज्यादातर मुसलमान आतंकियों की हरकत से तंग आ चुके हैं, वो चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर में किसी भी तरह से पर्यटन और तीर्थयात्रियों की आवाजाही बढ़े और आतंकियों व अलगाववादियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई हो.

सरहद पार से हमले की साजिश
जम्मू संभाग का आम मुसलमान अलगाववादियों की आए दिन हड़ताल और प्रदर्शनों से आजिज आ चुका है, यही कारण है कि मुस्लिमों की बड़ी तादाद की बेरुखी की वजह से सरहद पार के आतंकियों के जरिए अब हमले की साजिश रची जा रही है.

सद्भाव की मिसाल बनेगी यह यात्रा
वीएचपी के केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय प्रवक्ता अशोक तिवारी के मुताबिक अमरनाथ यात्रा से लेकर बूढ़ा अमरनाथ यात्रा तक के बंदोबस्त में स्थानीय मुस्लिमों की भागीदारी बहुत उत्साहजनक रही है. वीएचपी और बजरंग दल आगे भी पुंछ और राजौरी के मुसलमानों के साथ मिलकर बूढ़ा अमरनाथ यात्रा को सद्भाव की मिसाल के तौर पर विकसित करेंगे.

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2004 में हुई संगठित रूप से शुरुआत
गौरतलब है कि अखिल भारतीय स्तर पर बूढ़ा अमरनाथ यात्रा की शुरुआत संगठित रूप से 2004 में हुई. वीएचपी और बजरंग दल ने इस यात्रा को अभियान के तौर पर शुरु किया और 2005 में बजरंग दल के अध्यक्ष प्रकाश शर्मा ने इसे बजरंग दल के वार्षिक कैलेंडर का सबसे अहम कार्यक्रम बना लिया.

देश में लोकप्रिय हो गई है यह यात्रा
बजरंग दल की ओर से बूढ़ा अमरनाथ यात्रा के पूरे देश में प्रचार-प्रसार की कमान हाथ में लेते ही यात्रा को जम्मू-कश्मीर सरकार के संस्कृति और पर्यटन विभाग ने भी अपने कैलेंडर का हिस्सा बना लिया, तभी से हर साल बूढ़ा अमरनाथ यात्रा बाबा अमरनाथ यात्रा की तर्ज पर ही देश में लोकप्रिय हो गई है. यात्रा के आयोजन में सीमा सुरक्षा बल का भी खास योगदान बताया जाता है.

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