जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटे तीन साल से ज्यादा हो गए हैं. सरकार का दावा है कि इस फैसले के बाद हालात सुधरे हैं. सेना ने ऑपरेशन ऑल आउट चलाकर कई आतंकियों को मौत के घाट उतारा है. लेकिन कश्मीर के आतंकी संगठनों को शायद ये सब रास नहीं आ रहा है.
आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LET) से जुड़े द रेजिस्टेंस फ्रंट (The Resistance Front) ने घाटी में सिनेमा और स्पोर्ट्स जैसी चीजों को बढ़ावा दिए जाने के खिलाफ धमकी भरा लेटर जारी किया है. TRF का आरोप है कि स्पोर्ट्स को सिक्योरिटी फोर्सेस स्पॉन्सर कर रही हैं. वहीं, सिनेमा और मनोरंजन के नाम पर समाज में गंदगी फैलाई जा रही है.
आतंकियों की छटपटाहट की ये है वजह
एक दिन पहले ही 18 सितंबर को पुलवामा और शोपियां में एक मल्टीपर्पज सिनेमा हॉल का शुभारंभ किया गया है, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पुलवामा और शोपियां में मल्टीपर्पज सिनेमा हॉल का उद्घाटन किया. जल्द ही अनंतनाग, श्रीनगर, बांदीपोरा, गंदेरबल, डोडा, राजौरी, पुंछ, किश्तवाड़ और रियासी में भी सरकार इस तरह के मल्टीपर्पज सिनेमा हॉल खोलने जा रही है.
TRF ने लेटर में और क्या लिखा है?
धार्मिक प्रचारकों को गिरफ्तारी, थियेटर खुलना, सुरक्षाबलों का स्पोर्ट्स एक्टिविटी को बढ़ावा देना और स्कूलों में नियमित होने वाली प्रार्थना की जगह हिंदू मंत्रों का जाप कराया जाना. ये सब संयोग नहीं, बल्कि पूर्व नियोजित है. कई सालों तक इसकी प्लानिंग की गई और आर्टिगल 370 के खात्मे के बाद लागू कर दिया गया.
प्लानिंग के तहत किया सब
आतंकी संगठन ने आगे लिखा है कि उन्हें (भारत सरकार) को पता था कि धार्मिक प्रचारक इसका विरोध करेंगे, इसलिए उन्हें कैद कर लिया गया. इन कृत्यों से स्थानीय लोग प्रभावित हुए, लेकिन उन्होंने (खासतौर पर शिक्षक) स्वेच्छा से यह सब स्वीकार कर लिया.
चंद रुपयों के लिए शिक्षकों ने ये किया
TRF ने लेटर में आगे लिखा है कि शिक्षकों का तर्क है कि अगर इसका विरोध करते तो नौकरी जाने का खतरा था. लेकिन विडंबना है कि चंद रुपयों के लिए उन्होंने अपनी धार्मिक पहचान को दूर कर दिया. लेकिन रेसिस्टेंस फाइटर्स (TRF) मूकदर्शक नहीं बने रह सकते. हम इसका हिंसक बदला लेंगे.
धार्मिक पहचान पर हमला
आतंकी संगठन TRF ने धमकी देते हुए कहा है कि यह उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान पर हमला है. स्कूली पाठ्यक्रम या मनोरंजन के नाम पर समाज में गंदगी बर्दाश्त नहीं की जाएगी. वो इसके खिलाफ एक्शन लेंगे.
मनोरंजन के साधन शुरू किए जा रहे: DGP
धमकी के बाद भी सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस आतंकियों का डटकर मुकाबला कर रही है. जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने किश्तवाड़ में पत्रकारों से कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में आतंकवादी घटनाओं में गिरावट आई है. उन्होंने कहा कि मनोरंजन के साधनों को फिर से चालू किया जा रहा है.
आर्टिकल-370 हटने पर कम हुआ आतंक
केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 को हटा दिया था. कश्मीर में आतंकी घटनाओं की बात करें तो 5 अगस्त, 2016 से 4 अगस्त 2019 के बीच कुल 930 घटनाएं हुईं, जो 370 हटाए जाने के बाद घटकर 617 हो गईं. इन आतंकी घटनाओं में 370 लागू रहने के दौरान 290 जवान शहीद हुए और 191 नागरिक मारे गए. वहीं, धारा 370 हटाए जाने के 3 साल बाद 174 जवान शहीद हुए और 110 लोग मारे गए.
अशरफ वानी