जम्मू-कश्मीर में आतंकी फंडिंग और लॉजिस्टिक सपोर्ट सिस्टम को ध्वस्त करने की दिशा में एक बड़ी सफलता मिली है. श्रीनगर स्थित एनआईए एक्ट के तहत नामित विशेष न्यायालय ने आतंकी फंडिंग से जुड़े एक हाई-प्रोफाइल मामले (FIR संख्या 02/2024, थाना काउंटर इंटेलिजेंस कश्मीर - CIK) में दो आरोपियों के खिलाफ UAPA की धारा 13, 38, 39, 40 और IPC की धारा 120-B के तहत आरोप तय किए हैं.
जिन दो आरोपियों पर आरोप तय किए गए हैं, उनके नाम शबीर अहमद भट, पुत्र ग़ुलाम मोहम्मद भट, निवासी खदेरमो, काकापोरा, और जावेद अहमद याटू, पुत्र अब्दुल मजीद, निवासी पातालबाग, पंपोर हैं. वहीं पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के फरार हैंडलर सुमामा उर्फ बाबर उर्फ इलियास के खिलाफ भी आपराधिक कार्यवाही शुरू कर दी गई है.
जांच में सामने आया कि यह एक अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र था, जिसमें पाकिस्तान में बैठे आतंकी कमांडर, खाड़ी देशों में मौजूद पाकिस्तानी नागरिकों और अन्य विदेशी नेटवर्क के जरिए जम्मू-कश्मीर में टेरर फंडिंग की जा रही थी. ये फंड तीर्थयात्रियों, प्रवासियों और व्यापारियों की आड़ में हवलाकिए नेटवर्क के माध्यम से भेजे जाते थे.
शबीर अहमद भट, जो सऊदी अरब में उमराह के लिए गया था, वहां उसने लश्कर के संपर्क सूत्रों से बड़ी रकम सऊदी रियाल में प्राप्त की और निर्देशों के तहत अन्य कश्मीरी तीर्थयात्रियों को पैसों की डिलीवरी करवाई. भारत लौटने पर उसने उस विदेशी मुद्रा को भारतीय रुपये में बदलकर आतंकियों और उनके परिवारों तक पहुंचाया.
जावेद अहमद याटू की भूमिका शबीर और पाकिस्तान स्थित हैंडलर के बीच संपर्क स्थापित करने में महत्वपूर्ण रही. इसके अलावा मोहम्मद अयूब भट (निवासी: कोठीपोरा चाटरगाम, बडगाम) और मोहम्मद रफीक शाह (निवासी: एचआईजी कॉलोनी, ग्रीन पार्क, श्रीनगर) को भी हाल ही में गिरफ्तार किया गया है. इनके पास से इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज, बैंक स्टेटमेंट्स और हवाला लेनदेन से जुड़े दस्तावेज बरामद हुए हैं, जो एक गहरे भूमिगत वित्तीय नेटवर्क की पुष्टि करते हैं.
सीआईके ने दोहराया है कि वह जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ मिलकर आतंकवाद को आर्थिक रूप से पोषित करने वाले हर व्यक्ति और नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई जारी रखेगा.
मीर फरीद