जम्मू कश्मीर राज्य के दर्जे में बदलाव, विभाजन और अनुच्छेद 370 हटाए जाने को एक साल से अधिक समय गुजर चुके हैं. अनुच्छेद 370 हटाए जाने के ठीक पहले नजरबंद कर दिए गए डॉक्टर फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती समेत तमाम नेता रिहा हो चुके हैं. इन नेताओं की रिहाई के बाद जम्मू कश्मीर में सियासी हलचल भी बढ़ गई है.
फारूक अब्दुल्ला ने गुपकार समूह की बैठक बुलाई है, जिसमें महबूबा मुफ्ती और सज्जाद लोन के साथ ही जम्मू कश्मीर के उन सभी राजनीतिक दलों के नेता शामिल हो रहे हैं जिन्होंने 4 अगस्त को साझा बयान जारी किया था. कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच हो रही इस बैठक में फारूक अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस और महबूबा मुफ्ती के दल पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट (पीडीपी) के कई नेता मौजूद हैं.
गुपकार समूह, छह राजनीतिक दलों का वह समूह है जो जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए लड़ाई लड़ रहा है. इस समूह का गठन 22 अगस्त 2019 को फारूक अब्दुल्ला के गुपकार रोड स्थित आवास पर हुई बैठक में किया गया था. गुपकार समूह ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को असंवैधानिक करार देते हुए इसकी बहाली के लिए संघर्ष करने का ऐलान किया था.
हालांकि, गुपकार समूह के गठन की नींव जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के एक दिन पहले ही पड़ गई थी, जब फारूक अब्दुल्ला के गुपकार रोड स्थित आवास पर इन्हीं छह दलों की बैठक हुई थी जो समूह के सदस्य हैं. बैठक के बाद साझा बयान जारी किया गया था, जिसमें जम्मू कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा, पहचान और संविधान बरकरार रखने को लेकर सभी सदस्य दलों ने सहमति जताई थी.
इस समूह में नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के अलावा कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी, पीपल्स कॉन्फ्रेंस, जम्मू कश्मीर अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस शामिल हैं. इस समूह के गठन का उद्देश्य जम्मू कश्मीर का पुराना दर्जा बहाल करने के लिए संयुक्त रूप से केंद्र सरकार पर दबाव बनाना था. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने गुपकार समूह के गठन को तब पाकिस्तान का एजेंडा बताते हुए कहा था कि खून-खराबे के लिए यही दल जिम्मेदार हैं.
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