मीरवाइज उमर फारूक ने बदला एक्स प्रोफाइल का बॉयो, चेयरमैन ऑल पार्टीज हुर्रियत हटाया

मीरवाइज उमर फारूक ने अपनी एक्स प्रोफाइल से ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन का पदनाम हटा दिया है. इसे लेकर कश्मीर की राजनीति में कयासों का दौर शुरू हो गया है.

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अलगाववाद का उदार चेहरा माने जाते हैं मीरवाइज उमर फारूक (Photo: ITG) अलगाववाद का उदार चेहरा माने जाते हैं मीरवाइज उमर फारूक (Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:42 AM IST

अलगाववादी हुर्रियत के उदारवादी नेता मीरवाइज उमर फारूक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स की अपनी वेरिफाइड प्रोफाइल से ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन का पदनाम हटा दिया है. मीरवाइज उमर फारूक की एक्स प्रोफाइल के बॉयो में अब केवल स्थान संबंधी जानकारियां ही रह गई हैं. इस प्रोफाइल को फॉलो करने वालों की तादाद दो लाख से अधिक बताई जा रही है.

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मीरवाइज उमर फारूक की एक्स प्रोफाइल के बॉयो में पहले 'चेयरमैन, ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस' भी दर्ज था. अब उनके इसे अपनी प्रोफाइल से हटाने वाले कदम को लेकर कश्मीर की सियासत में कयासों का बाजार गर्म हो गया है. यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है, जब केंद्र सरकार की कश्मीर के अलगाववादी संगठनों और उनसे जुड़े नेताओं पर कड़ी नजर है. इस कदम को लेकर मीरवाइज की ओर से कोई बयान नहीं आया है.

मीरवाइज उमर फारूक के अपने संगठन अवामी एक्शन कमेटी को केंद्र सरकार ने आतंकवाद विरोधी कड़े कानून के तहत पहले से ही प्रतिबंधित कर रखा है. गौरतलब है कि ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का गठन साल 1993 में हुआ था. यह कोई दल नहीं है, बल्कि कश्मीर के अलग-अलग अलगाववादी धड़ों का एक गठबंधन है.

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यह गठबंधन घाटी में प्रभावशाली मानता है. ऑल पार्टीज हुर्रियत की भूमिका सामूहिक बंद के साथ ही राजनीतिक लामबंदी में अहम मानी जाती थी. हालांकि, पिछले एक दशक में ऑल पार्टीज हुर्रियत का प्रभाव कमजोर पड़ता चला गया. इसके पीछे कई कारण रहे. इन कारणों में आपसी मतभेद के साथ ही केंद्र सरकार की ओर से लिए गए एक्शन भी शामिल हैं.

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अलगाववादी संगठनों को लेकर सरकार सख्त हो गई है. गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने साल 2019 में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए हटा दिए थे और ऑल पार्टीज हुर्रियत से जुड़े कई संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिए थे. बता दें कि इसके बाद हुर्रियत के कई वरिष्ठ नेताओं को कड़े कानूनों के तहत गिरफ्तार किया गया या उनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए. कई नेताओं ने खुद ही सार्वजनिक गतिविधियों से पूरी तरह दूरी बना ली.

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