जम्मू कश्मीर में न्यूतम मजदूरी बढ़ी, LG ने 22196 करोड़ के बजट को भी दी मंजूरी

जम्मू कश्मीर में दिहाड़ी मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी अब 225 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये कर दी गई है. उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सभी 20 जिलों के लिए डिस्ट्रिक्ट कैपेक्स बजट को भी मंजूरी दे दी है.

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मनोज सिन्हा (फाइल फोटो) मनोज सिन्हा (फाइल फोटो)

सुनील जी भट्ट

  • जम्मू,
  • 23 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 11:56 PM IST
  • पंचायतों के लिए के लिए 1000 करोड़ का बजट
  • जल जीवन मिशन के लिए 10914 करोड़ आवंटित 

जम्मू कश्मीर प्रशासन ने केंद्र शासित प्रदेश के दिहाड़ी मजदूरों को बड़ा तोहफा दिया है. जम्मू कश्मीर प्रशासन ने सभी विभागों में कार्यरत दिहाड़ी मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी 225 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये करने का ऐलान किया है. श्रम और रोजगार विभाग की ओर से न्यूनतम मजदूरी बढ़ाए जाने के प्रस्ताव पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मुहर लगा दी है.

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एलजी मनोज सिन्हा ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के विकास के लिए 22196 करोड़ रुपये के डिस्ट्रिक्ट कैपेक्स बजट का भी अनुमोदन कर दिया. ये डिस्ट्रिक्ट कैपेक्स बजट पिछले वित्त वर्ष के बजट से 75 फीसदी अधिक है. ग्राम पंचायतों के लिए 1000 करोड़, जिला पंचायतों के लिए 200 और क्षेत्र पंचायतों के लिए 71.25 करोड़ रुपये का प्रावधान बजट में किया गया है.

जम्मू कश्मीर के डिस्ट्रिक्ट कैपेक्स बजट में 10914 करोड़ रुपये जल जीवन मिशन के लिए आवंटित किए गए हैं. इसी तरह महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना के लिए 3814.08, प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लिए 2001.12, बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत 47.53 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. 
 
एलजी मनोज सिन्हा ने सभी 20 जिलों के लिए डिस्ट्रिक्ट कैपेक्स बजट को मंजूरी दे दी है. बजट को लेकर एलजी मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में सिविल सेक्रेटेरिएट में उच्च स्तरीय बैठक हुई. मनोज सिन्हा ने कहा है कि हमने पिछले वित्तीय वर्ष में 51891 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को पूरा करने की उपलब्धि हासिल की. एक्टिव पीआरआई से ही ये बेमिसाल उपलब्धि हासिल की जा सकी.

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उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य विकास को मजबूत जन आंदोलन बनाना है. समय पर लक्ष्य पूरा किया जाना बदलाव की कुंजी है. एलजी ने कहा कि हम ये सुनिश्चित करने के लिए कार्य कर रहे हैं कि वंचित वर्ग को सामाजिक न्याय, समानता और सामाजिक-आर्थिक रूप  से अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को भी समान अवसर मिले.

 

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