कश्मीर में यात्री परेशान, 44 दिनों से नहीं चली घाटी को जोड़ने वाली ट्रेन

श्रीनगर रेलवे स्टेशन सुनसान नजर आ रहा है. आमतौर पर इस स्टेशन से रोजाना 10 हजार से ज्यादा यात्री आते-जाते हैं. कश्मीर में पिछले 44 दिनों से जनजीवन प्रभावित है. 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किए जाने के बाद से घाटी में बनिहाल से बारामुला के लिए कोई भी ट्रेन रवाना नहीं हुई है.

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श्रीनगर रेलवे स्टेशन पर पसरा सन्नाटा (फोटो-aajtak) श्रीनगर रेलवे स्टेशन पर पसरा सन्नाटा (फोटो-aajtak)

शुजा उल हक

  • श्रीनगर,
  • 17 सितंबर 2019,
  • अपडेटेड 6:49 PM IST

  • पिछले 44 दिनों में बनिहाल से बारामूला के बीच नहीं चली ट्रेन
  • स्थानीय यात्रियों को करना पड़ रहा है दिक्कतों का सामना
  • घाटी में सुरक्षा के मद्देनजर ट्रेनों का संचालन बंद रखा गया

श्रीनगर रेलवे स्टेशन सुनसान नजर आ रहा है. आमतौर पर इस स्टेशन से रोजाना 10 हजार से ज्यादा यात्री आते-जाते हैं. लेकिन कश्मीर में पिछले 44 दिनों से तनाव का माहौल है जिससे आम जनजीवन प्रभावित हुआ है. 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 को रद्द किए जाने के बाद से घाटी में बनिहाल से बारामूला के लिए कोई भी ट्रेन रवाना नहीं हुई है.

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स्टेशन पर इंतजार कर रहे एक छात्र ने बताया, 'इंटरनेट बंद है, लिहाजा ऑनलाइन रिजर्वेशन करना मुमकिन नहीं हो पा रहा है. इसलिए मैं स्टेशन आया हूं ताकि रिजर्वेशन करा सकूं. लेकिन यहां भी इसमें कठिनाई सामने आ रही है. यहां कुछ भी नहीं हो रहा है. मुझे पुणे जाना है. मुझे रविवार को जाना है. मैं कोशिश कर रहा हूं कि किसी तरह जम्मू पहुंच जाऊं. फिर वहां से आगे की यात्रा आसान हो जाएगी.'  

स्टेशन पहुंचे एक अन्य यात्री को भी इसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. यात्री ने बताया कि हमें यहां तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है. आपको यहां कोई नजर नहीं आएगा. पता ही नहीं चल रहा है कि क्या हो रहा है. आप सब कुछ देख सकते हैं. उनका कहना है कि काफी दिनों से यहां न कोई ट्रेन आई और न ही कोई ट्रेन गई है.

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बनिहाल से बारामूला तक के लिए ट्रेनें दैनिक यात्रियों के लिए आवागमन का एक अनुकूल साधन हुआ करती थी. इससे उनका वक्त और पैसा दोनों बचता था. दफ्तर आने-जाने वाले लोग भी ट्रेन से चलने को प्राथमिकता देते थे. खराब मौसम के दौरान लोग यहां से ट्रेन से बनिहाल जाते हैं और फिर वहां से जम्मू पहुंचते हैं.  

मगर पिछले एक महीने से ज्यादा समय हो गया और पटरी पर कोई ट्रेन नहीं दौड़ी है. इसी बंदी की वजह से रेलवे को भी रोजाना लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है. स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि घाटी में सुरक्षा हालात को ध्यान में रखते हुए ट्रेन संचालन को बंद करने का निर्णय लिया गया है.

एक स्थानीय अधिकारी ने बताया कि ट्रेनों को फिर से शुरू करने का फैसला ऊपर से किया जाएगा. जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद को हटाए जाने के बाद से राज्य पर अनिश्चिता के बादल छाए हुए हैं. ज्यादातर बाजार बंद हैं और सार्वजनिक परिवहन ठप है.

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