जम्मू-कश्मीर: आतंकवादी संगठनों से सांठ-गांठ के आरोप में दो सरकारी शिक्षक बर्खास्त

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने गुरुवार को दो शिक्षकों को आतंकवादी संगठनों से संबंध होने के आरोप में सेवा से बर्खास्त कर दिया. उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने यह कार्रवाई संविधान के अनुच्छेद 311(2)(c) के तहत की, जिसके तहत राज्य की सुरक्षा के लिए बिना किसी विभागीय जांच के कर्मचारियों को हटाया जा सकता है. दोनों शिक्षकों पर राष्ट्रविरोधी गतिविधियों से जुड़े होने का आरोप था.

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जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने दो टीचरों को किया बर्खास्त (Photo: PTI) जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने दो टीचरों को किया बर्खास्त (Photo: PTI)

aajtak.in

  • श्रीनगर,
  • 30 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 2:35 PM IST

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने गुरुवार को दो सरकारी कर्मचारियों को आतंकवादी संगठनों से संबंधों के आरोप में सेवा से बर्खास्त करने का आदेश जारी किया है. अधिकारियों के अनुसार, दोनों आरोपी शिक्षा विभाग में शिक्षक के रूप में कार्यरत थे.

न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक बर्खास्त किए गए शिक्षकों की पहचान गुलाम हुसैन और माजिद इकबाल डार के रूप में की गई है. इनमें गुलाम हुसैन, रियासी जिले के महोरे तहसील के कलवा मुलास इलाके के रहने वाले हैं, जबकि माजिद इकबाल डार, राजौरी जिले के ख्योड़ा वार्ड नंबर 1 के निवासी बताए गए हैं.

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आतंकियों से थी सांठगांठ

सरकार द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि उपराज्यपाल को मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के बाद दोनों शिक्षकों की गतिविधियां ऐसी हैं जो सेवा से बर्खास्तगी योग्य हैं.' आदेश में आगे कहा गया कि राज्य की सुरक्षा के हित में अनुच्छेद 311(2)(c) के तहत इन मामलों में किसी प्रकार की औपचारिक विभागीय जांच आवश्यक नहीं समझी गई.

पिछले कुछ सालों में जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने दर्जनों सरकारी कर्मचारियों को इसी प्रावधान के तहत सेवा से बर्खास्त किया है. इन सभी मामलों में अधिकारियों पर आतंकवादी संगठनों से संपर्क या राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में संलिप्तता का संदेह जताया गया था.

खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट पर कार्रवाई

सूत्रों का कहना है कि प्रशासनिक स्तर पर यह फैसला एक विस्तृत सुरक्षा मूल्यांकन के बाद लिया गया है, जिसमें खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट को आधार बनाया गया. बर्खास्तगी का निर्णय राज्य सुरक्षा समिति की सिफारिश के बाद मंजूर किया गया.

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अधिकारियों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन भविष्य में भी ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाता रहेगा, जो सरकारी पद का दुरुपयोग कर देशविरोधी गतिविधियों में शामिल पाए जाएंगे.

 

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