जम्मू-कश्मीर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के नेता पीर मंसूर और सरताज मदनी को रिहा कर दिया गया है. दोनों पीएसए (जन सुरक्षा कानून) के तहत हिरासत में थे. जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने दोनों के खिलाफ लगे पीएसए को रद्द कर दिया है. बुधवार को प्रशासन ने यह फैसला लिया और नेताओं को बंदीगृह से रिहा कर दिया.
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने आईएएस से नेता बने शाह फैसल पर लगाया गया पीएसए भी निरस्त कर दिया है. जम्मू-कश्मीर में इस कानून को लेकर काफी विवाद रहा है. विपक्ष के नेताओं ने आरोप लगाए कि अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद प्रशासन ने इसका गलत इस्तेमाल किया और विरोधी आवाज उठाने वालों को इस कानून के नाम पर जेल में बंद कर दिया.
शाह फैसल के खिलाफ 14 मई को जन सुरक्षा कानून 3 महीने के लिए बढ़ा दिया गया था लेकिन जम्मू-कश्मीर प्रशासन के गृह विभाग ने बुधवार को एक आदेश जारी कर इसे निरस्त कर दिया. जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद फैसल को हिरासत में रखा गया था. इस साल फरवरी महीने में पीएसए के तहत उनकी गिरफ्तारी हुई थी. पिछली बार रिहाई से ठीक पहले उनकी हिरासत अवधि बढ़ा दी गई थी.
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जम्मू-कश्मीर के गृह विभाग ने पीडीपी नेता सरताज मदनी और और पीर मंसूर के खिलाफ लगे पीएसए को भी रद्द कर दिया है. मदनी को नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता व महासचिव अली मोहम्मद सागर के साथ एक सरकारी बंगले में बंदी बनाया गया था. पिछले महीने 5 मई को उनकी हिरासत अवधि तीन महीने के लिए बढ़ा दी गई थी लेकिन अब पीएसए हटा लिया गया है.
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पूर्व आईएएस शाह फैसल पर जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पीएसए लगाया था. शाह फैसल पर प्रशासन ने पीएसए के तहत मुकदमा दर्ज किया था. आईएएस की नौकरी छोड़कर राजनीति में आने वाले शाह फैसल जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (JKPM) के अध्यक्ष हैं. बता दें कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद शाह फैसल को पिछले साल 14 अगस्त को सीआरपीसी की धारा 107 के तहत हिरासत में लिया गया था. बाद में उन्हें कस्टडी में लेकर एमएलए हॉस्टल में रखा गया था.
इन नेताओं की रिहाई का नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने स्वागत किया है. अब्दुल्ला ने कहा कि पीर मंसूर और सरताज मदनी को रिहा कर दिया गया है लेकिन दुख की बात है कि महबूबा मुफ्ती, सागर और हिलाल लोन अब भी हिरासत में हैं. ऐसे मुश्किल वक्त में उन्हें भी छोड़ा जाना चाहिए. उन्होंने ट्वीट में लिखा, पिछले 10 महीने से कई नेता अनौपचारिक तौर पर नजरबंद हैं. ऐसे समय में सभी लोगों पर एक समान कानून लागू किया जाना चाहिए. इन नेताओं को बिना गार्ड के अपने घर से बाहर निकलने की इजाजत दी जानी चाहिए. बिना किसी कारण या औचित्य के इन नेताओं को हिरासत में रखा गया है.
(एजेंसी: इनपुट)
सुनील जी भट्ट