PSA के तहत हिरासत में हैं फारूक अब्दुल्ला, 2 साल तक रह सकते हैं बंद

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत हिरासत में लिए गए हैं.

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जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला (FILE) जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला (FILE)

कमलजीत संधू

  • नई दिल्ली,
  • 16 सितंबर 2019,
  • अपडेटेड 11:56 AM IST

  • सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले फारूक अब्दुल्ला पर PSA लगा
  • बिना किसी सुनवाई के भी 2 साल हिरासत में रखे जा सकते हैं
  • फारुक की गिरफ्तारी पर केंद्र को नोटिस, 30 सितंबर तक जवाब दे

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत हिरासत में लिए गए हैं. पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत हिरासत में लिए जाने वाले शख्स को 2 साल तक बिना किसी सुनवाई के हिरासत में लिया जा सकता है.

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राज्यसभा सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला पिछले महीने 5 अगस्त से हाउस अरेस्ट हैं. लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री पर पीएसए के तहत एक दिन पहले ही रविवार को केस दर्ज किया गया है.

सुप्रीम कोर्ट में एमडीएमके नेता वाइको के हैबियस कॉर्पस याचिका पर सुनवाई से एक दिन पहले ही फारूक अब्दुल्ला पर पीएसए के तहत केस दर्ज किया गया. सरकार की ओर से ऐसा इसलिए किया गया है कि कोर्ट में सुनवाई के दौरान किसी पेपर के नहीं होने पर नेताओं की गिरफ्तारी को सही साबित करने को लेकर शर्मसार होने से बचा जा सके.

30 सितंबर तक जवाब दे केंद्र

फारूक अब्दुल्ला को गृह मंत्रालय ने उनके आवास पर ही हिरासत में ले रखा है और उनके आवास को सब्सिडरी जेल घोषित किया गया है. वह अपने ही घर में रहने को मजबूर हैं, लेकिन इस दौरान वह अपने मित्र या किसी अन्य रिश्तेदार से नहीं मिल सकते हैं.

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इस बीच फारूक अब्दुल्ला को हिरासत में लिए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया और 30 सितंबर तक जवाब देने को कहा है.

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किए जाने के 40 दिन से ज्यादा का समय हो गया है. राज्य में मोबाइल सेवाओं और इंटरनेट को छोड़कर ज्यादातर पाबंदियों में लगातार ढील दी जा रही है, इस बीच आज सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कई पाबंदियों और वहां जाने को लेकर कुल 8 याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है. ये याचिकाएं चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच सुन रही है.

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