जम्मू-कश्मीर के हालात पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिस पर आज सुनवाई हो सकती है. तहसीन पूनावाला की ओर से दायर इस याचिका में घाटी से कर्फ्यू के साथ लैंडलाइन, इंटरनेट समेत सभी सुविधाओं पर लगे प्रतिबंध को हटाने की मांग की गई है. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर के नेताओं को भी रिहा करने की मांग की गई है. तहसीन पूनावाला की इस याचिका पर आज सुनवाई हो सकती है.
कश्मीर में कर्फ्यू लगा हुआ है और संचार सेवाएं पूरी तरह बंद हैं. उधर, केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया है. इसके बाद जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला को घर में नजरबंद किया गया है.
संचार सेवाएं बंद होने से कश्मीर के अधिकांश लोग अपने भविष्य के फैसले से अवगत नहीं हो पाए हैं. न्यूज एजेंसी IANS के मुताबिक, श्रीनगर के चानपुरा निवासी चालीस वर्षीया नुजहत ने अपने दो साल के बच्चे के लिए दूध और भोजन सामग्री इकट्ठा कर रखा था, लेकिन उन्हें इस बात की चिंता सता रही थी कि अगर बच्चा बीमार पड़ा तो क्या होगा. कर्फ्यू लगे होने के कारण वह अपने बच्चे को डॉक्टर के पास नहीं ले जा पाएगी.
नुजहत ने बिलखते हुए कहा, 'मेरे बच्चे को अक्सर छाती में इन्फेक्शन की शिकायत रहती है. अगर स्वास्थ्य को लेकर आपात स्थिति पैदा हुई तो मैं शायद अपने बेटे को डॉक्टर के पास नहीं ले जा पाऊंगी.'
कश्मीर में पिछले 10 दिनों से तनावपूर्ण स्थिति है, क्योंकि केंद्र सरकार ने अर्धसैनिक बलों के हजारों जवानों को तैनात कर दिया है, जबकि इनकी तैनाती के संबंध में कुछ भी स्पष्ट तौर पर पहले नहीं बताया गया था. हालांकि बाद में जब सोमवार को देश के गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में इसको लेकर प्रस्ताव पेश किया तो साफ हो गया था कि जम्मू और कश्मीर से अब लद्दाख अलग होगा. इसके साथ दोनों राज्यों को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया है. वहीं जम्मू-कश्मीर की विधानसभा होगी, लेकिन लद्दाख की अपनी अलग विधानसभा नहीं होगी.
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