पुलवामा और मौजूदा हालातों की वजह से टले J-K विधानसभा चुनाव

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा भंग है और वहां राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है. जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव पर आयोग ने कहा कि राज्य सरकार और गृह मंत्रालय से इस बाबत चर्चा की गई है. उन्होंने कहा कि वहां फिलहाल विधानसभा चुनाव नहीं होंगे.

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वरुण शैलेश

  • नई दिल्ली,
  • 10 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 8:57 PM IST

लोकसभा चुनाव 2019 की तारीखों का ऐलान हो चुका है. चुनाव आयोग ने चार राज्यों के विधानसभा चुनावों का शेड्यूल भी जारी कर दिया है. इसमें आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा, सिक्किम विधानसभा के चुनाव शामिल हैं. मगर सुरक्षा बंदोबस्त को देखते हुए जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव अभी नहीं होंगे. राज्य में विधानसभा भंग है और वहां राष्ट्रपति शासन लागू है.

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जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव पर आयोग ने कहा कि राज्य सरकार और गृह मंत्रालय से इस बाबत चर्चा की गई है. उन्होंने कहा कि राज्य में फिलहाल विधानसभा चुनाव नहीं होंगे. चार राज्यों के विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ होंगे. इन राज्यों में ओडिशा, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और आंध्र प्रदेश शामिल हैं.

गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव पिछली बार 25 नवंबर-20 दिसंबर 2014 तक पांच चरणों में संपन्न हुए थे. राज्य में कुल 87 विधानसभा सीटें हैं. इनमें से पीपल डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने 28, बीजेपी ने 25, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 15 और कांग्रेस ने 12 जीती थीं. अन्य दलों ने 7 सीटें जीती थीं. बहुमत के लिए 44 सीटें जीतना जरूरी है. 19 जून 2018 तक राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती रहीं. बीजेपी और पीडीपी के गठबंधन की सरकार बनी थी. फिलहाल राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है.

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जम्मू-कश्मीर में छह महीने का राज्यपाल शासन पूरा होने के बाद 20 दिसंबर 2018 को राष्ट्रपति शासन लागू है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक की सिफारिश पर इस बाबत एक घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर किए थे. राज्य में महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व में गठबंधन सरकार से जून में बीजेपी ने समर्थन वापस ले लिया था. इसके बाद जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक संकट बना हुआ है.

बता दें कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा के नेतृत्व में टीम दो दिनों के लिए जम्मू-कश्मीर पहुंची थी. इस दौरान चुनाव आयोग की टीम ने विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श किया. इन दलों में कांग्रेस, बीजेपी, नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी, माकपा और नेशनल पैंथर्स पार्टी सहित अन्य दलों के प्रतिनिधि शामिल रहे. इन सभी दलों ने चुनाव आयोग पर पूरा विश्वास व्यक्त किया और लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने के लिए सहमति जताई थी.

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