करगिल से भारत ने क्या सीखा, दो दशक बाद आज कितनी सेफ है सरहद?

करगिल युद्ध के 20 साल बाद आज स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है. भारतीय सेना 1999 की गलतियों से सबक लेते हुए अब पूरी तरह से मुस्तैद है. भारत की सीमा में पाकिस्तानी अब पहले की तरह घुसपैठ नहीं कर सकते. हम आपको बताते हैं कि करगिल युद्द के 20 साल बाद कैसे बदल गई हैं परिस्थितयां और कैसी है भारत की तैयारी.

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करगिल युद्ध के 20 साल करगिल युद्ध के 20 साल

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 1:43 PM IST

करगिल युद्ध में भारत ने 26 जुलाई को विजय हासिल की थी. करीब दो महीने तक चले इस युद्ध में भारतीय सेना के साहस और पराक्रम के आगे पाकिस्तानी सेना और घुसपैठिए को घुटने टेकने पड़े थे. करगिल में करीब 18 हजार फीट पर लड़ी गई इस जंग में देश ने 500 से ज्यादा वीर जवानों को खोया था और 1300 से ज्यादा घायल हुए थे. वीरों की शहादत पर आज भी भारत वासियों को गर्व है. इस युद्ध ने हमें कई सबक दिए.

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करगिल युद्ध के 20 साल बाद आज स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है. भारतीय सेना 1999 की गलतियों से सबक लेते हुए अब पूरी तरह से मुस्तैद है. भारत की सीमा में पाकिस्तानी अब पहले की तरह घुसपैठ नहीं कर सकते. हम आपको बताते हैं कि करगिल युद्द के 20 साल बाद कैसे बदल गई है परिस्थितयां और कैसी है भारत की तैयारी.

भारत की कैसी है तैयारी

1999 की तरह अब करगिल में पाकिस्तानी घुसपैठ और युद्द की आशंका बिल्कुल नहीं है. पाकिस्तानी जहां से घुसपैठ करते थे उसे ढूंढा जा चुका है और वहां उनसे निपटने के लिए काउंटर घुसपैठ ग्रिड बनाए गए हैं. करगिल के उन इलाकों में सेना की तैनाती तीन गुना बढ़ चुकी है. सर्दी के मौसम में अब पोस्ट को खाली नहीं छोड़ा जाता है.

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लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) पर कई हेलीपैड बनाए जा चुके हैं. सेना ने वहां आयुद्ध केंद्र बनाए हैं और वहां बड़े पैमाने पर युद्ध सामग्री रखी गई है. करगिल युद्ध के बाद समीक्षा के लिए एक कमेटी बनी थी. इसकी रिपोर्ट के बाद करगिल के उन इलाकों में बुनियादी ढांचा को दुरुस्त किया गया है. वहां सड़क और निगरानी केंद्र बनाए गए हैं.

एलओसी पर पाकिस्तान की हालत

अगर हम पाकिस्तान की स्थिति पर गौर फरमाएं तो एलओसी के पार उनके बंकर की हालत खराब है. उनमें ज्यादातर बंकर पर सीमेंट भी नहीं लगे हैं. उनकी हालत देखकर लगता है कि पाकिस्तानी सेना के पास फंड की दिक्कत है.

उनके पास राशन की कमी है. पाकिस्तानी सेना के पास गाड़ी की कमी दिखती है. हालांकि उनके पास हेलीकॉप्टर मौजूद हैं. ऐसे में अब 1999 जैसी स्थिति तो कभी भी नहीं पैदा हो सकती. करगिल में पाकिस्तान से अब कोई खतरा नहीं है.

1999 में क्यों हुई पाकिस्तानी घुसपैठ

युद्द के पहले करगिल में एलओसी के पास भारतीय सेना का केवल एक ब्रिगेड था. इसमें तीन यूनिटों में करीब 2,500 सैनिक तैनात थे. एलओसी पर जोजिला और लेह के बीच करीब 300 किलोमीटर की सीमा की सुरक्षा का जिम्मा इनके ऊपर था. यह सेक्टर जोजिला से सियाचीन तक सामग्री और सैनिकों की तैनाती के लिए काफी महत्वपूर्ण है लेकिन घुसपैठ से पहले इसकी अहमियत को नहीं समझा गया था.

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यहां कई गुणा ज्यादा सैनिकों की तैनाती की जरूरत थी, लेकिन तब इसे नहीं समझा गया था. सर्दियों में एलओसी पर पहाड़ की चोटियों पर पोस्ट को खाली करा दिया गया था. इन इलाकों में सड़कों की कमी थी और कुछ सड़कों पर गाड़ी जाने की स्थिति नहीं थी. युद्ध सामग्री और निगरानी की तकनीक की भी कमी थी. इन कमियों का फायदा उठाकर पाकिस्तान ने घुसपैठ की थी. अब इन कमियों को पूरी तरह दुरुस्त कर दिया गया है. ऐसे में करगिल में पाकिस्तान अब बिल्कुल घुसपैठ नहीं कर सकता.

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