पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का दावा- मेरी सुरक्षा कम की गई, किसानों और अग्निवीर योजना पर बोलने की मिली सजा

सत्यपाल मलिक ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे के बारे में गृह मंत्रालय को लिखा है, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है कि उनका सुरक्षा कवर क्यों घटाया गया और इस कदम के पीछे क्या कारण था. उन्होंने कहा कि सुरक्षा इसलिए छीन ली गई क्योंकि उन्होंने किसानों के मुद्दे और केंद्र की अग्निवीर योजना पर बात की थी.

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सत्यपाल मलिक-फाइल फोटो सत्यपाल मलिक-फाइल फोटो

मिलन शर्मा

  • कश्मीर,
  • 14 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 9:26 AM IST

जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा कि उनकी सुरक्षा कम कर दी गई और जेड प्लस सुरक्षा कवर के बजाय एक निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) तैनात किया जाएगा. इंडिया टुडे के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि सुरक्षा इसलिए छीन ली गई क्योंकि उन्होंने किसानों के मुद्दे और केंद्र की अग्निवीर योजना पर बात की थी.

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2019 में जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल थे

सत्य पाल मलिक 2019 में जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल थे. तब राज्य से धारा 370 हटा ली गई थी. सरकार ने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष दर्जे को खत्म कर दिया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया. कुछ महीनों बाद सत्य पाल मलिक के पास गोवा के 18वें राज्यपाल के रूप में काम करने की जिम्मेदारी मिली. मलिक ने अक्टूबर 2022 तक मेघालय के 21वें राज्यपाल के रूप में काम किया.

एनएन वोहरा की सुरक्षा पर किया ये दावा

उन्होंने कहा, 'मैं कहना चाहूंगा कि मैं किसी राजनीतिक दल में शामिल नहीं हो रहा हूं. मैं कोई राजनीतिक व्यक्ति नहीं हूं. लेकिन अगर मुझे कुछ होता है तो कृपया दिल्ली आ जाइए.' मलिक ने दावा किया कि 2008 से 2018 तक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में कार्य करने वाले एनएन वोहरा का सुरक्षा कवर अब भी बरकरार था.

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गृह मंत्रालय से नहीं मिला कोई जवाब

सत्यपाल मलिक ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे के बारे में गृह मंत्रालय को लिखा है, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है कि उनका सुरक्षा कवर क्यों घटाया गया और इस कदम के पीछे क्या कारण था. मालूम हो कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के परिवार के लिए आजीवन सुरक्षा कवर के लिए प्रोटोकॉल लागू है. हालांकि, राज्यपालों के लिए सुरक्षा कवर सुरक्षा एजेंसियों से प्राप्त खुफिया जानकारी पर आधारित है.

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