J-K: रोशनी घोटाले में बड़े-बड़े नाम, फारूक अब्दुल्ला ने दी ये सफाई

रोशनी घोटाले में फायदा उठाने वालों में नाम आने पर फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि इलाके में सिर्फ मेरा ही घर नहीं है बल्कि सैकड़ों घर हैं. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि ये मुझे परेशान करने की कोशिश है, उन्हें करने दीजिए. 

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जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला

अशरफ वानी

  • श्रीनगर,
  • 24 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 2:16 PM IST
  • जम्मू-कश्मीर के रोशनी घोटाले पर सियासी हलचल
  • घोटाले में कई नेताओं के नाम, लिस्ट सार्वजनिक
  • पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला ने दी सफाई

जम्मू-कश्मीर के रोशनी घोटाले पर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है. अब इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने सफाई दी है. फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि मुझ पर लगे सभी आरोप बेबुनियाद हैं. 

रोशनी घोटाले में फायदा उठाने वालों में नाम आने पर फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि इलाके में सिर्फ मेरा ही घर नहीं है बल्कि सैकड़ों घर हैं. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि ये मुझे परेशान करने की कोशिश है, उन्हें करने दीजिए. 

फारूक अब्दुल्ला पर आरोप है कि जम्मू के सजवान में उनका जो घर है वो जंगल की जमीन पर है. फारूक अब्दुल्ला का ये घर 10 कनाल जमीन में बना है, इसमें से 7 कनाल जंगल की जमीन है जबकि 3 कनाल जमीन उनकी अपनी है. आरोप ये है कि जमीन रोशनी एक्ट के तहत गलत तरीके से ली गई.

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने रोशनी घोटाले की लिस्ट सार्वजनिक कर दी है. ये लिस्ट कोर्ट के आदेश पर सरकार की वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई है. 

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क्या है रोशनी घोटाला

जम्मू-कश्मीर राज्य भूमि (ऑक्युपेंट्स का स्वामित्व अधिकार) अधिनियम, 2001 तत्कालीन फारूक अब्दुल्ला सरकार द्वारा जल विद्युत परियोजनाओं के लिए फंड इकट्ठा करने के लिए मकसद से लाया गया था. इसीलिए इस कानून को रोशनी नाम दिया गया.
इस कानून के अनुसार, भूमि का मालिकाना हक उसके अनधिकृत कब्जेदारों को इस शर्त पर दिया जाना था कि वो लोग मार्केट रेट पर सरकार को भूमि का भुगतान करेंगे. इसकी कट ऑफ 1990 तय की गई थी. शुरू में, सरकारी जमीन पर कब्जा करने वाले किसानों को कृषि उद्देश्यों के लिए स्वामित्व अधिकार दिए गए थे. हालांकि, अधिनियम में दो बार संशोधन किए गए. ये संशोधन मुफ्ती सईद और गुलाम नबी आजाद की सरकार के दौरान किए गए और कट ऑफ पहले 2004 और बाद में 2007 कर दी गई.

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2014 में CAG रिपोर्ट आई जिसमें ये खुलासा हुआ कि 2007 से 2013 के बीच जमीन ट्रांसफर करने के मामले में गड़बड़ी की गई. CAG रिपोर्ट में दावा किया गया कि सरकार 25000 करोड़ के बजाय सिर्फ 76 करोड़ रुपये ही जमा कर पाई. हाई कोर्ट के आदेश पर अब इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है. 

हसीब द्राबू ने भी दी सफाई

इस घोटाले में कई नाम सामने आ रहे हैं. जम्मू कश्मीर के पूर्व वित्त मंत्री हसीब द्राबू का नाम भी इस घोटाले में आ रहा है. हसीब द्राबू ने आजतक से बातचीत में कहा है कि कोई घोटाला नहीं हुआ है. मुझे गलत मकसद से बदनाम किया जा रहा है.

वहीं लिस्ट में नेशनल कॉफ्रेंस के ऑफिस का नाम आने पर पार्टी के नेता देवेंद्र राणा ने कहा है कि ये ऑफिस उस जमीन पर बना है जो लीज पर ली गई है. उन्होंने कहा कि इस जमीन को लेकर कोई भी गलत तरीका नहीं अपनाया गया है. देवेंद्र राणा ने कहा कि सीबीआई को जांच कर लेने दीजिए और कोर्ट के फैसले का इंतजार कीजिए.

 

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