गौमुख से गंगाजल लेकर मंडी पहुंची... हिमाचल की मुक्केबाज बेटी ने 600 किलोमीटर पैदल चलकर पूरी की कांवड़ यात्रा

हिमाचल प्रदेश की एक होनहार बॉक्सर और छात्रा कृतिका ने 600 किलोमीटर लंबी कांवड़ यात्रा पैदल पूरी करने का गौरव हासिल किया है. उन्होंने गौमुख से गंगाजल लेकर अपने गांव सुंदरनगर (जिला मंडी) तक यह कठिन यात्रा सावन माह में पूरी की.

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21 वर्षीय कृतिका मंडी जिले के डेरडू गांव की रहने वाली हैं.- (Photo: AI-generated) 21 वर्षीय कृतिका मंडी जिले के डेरडू गांव की रहने वाली हैं.- (Photo: AI-generated)

aajtak.in

  • शिमला,
  • 23 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 5:39 PM IST

हिमाचल प्रदेश की एक होनहार बॉक्सर और छात्रा कृतिका ने 600 किलोमीटर लंबी कांवड़ यात्रा पैदल पूरी करने का गौरव हासिल किया है. उन्होंने गौमुख से गंगाजल लेकर अपने गांव सुंदरनगर (जिला मंडी) तक यह कठिन यात्रा सावन माह में पूरी की.

21 वर्षीय कृतिका मंडी जिले के डेरडू गांव की रहने वाली हैं. उन्होंने यह यात्रा लगातार दूसरे वर्ष पूरी की है. पिछले साल उन्होंने हरिद्वार से सुंदरनगर तक की यात्रा की थी, लेकिन इस बार उन्होंने खुद को और अधिक चुनौती दी और गौमुख जैसे ऊंचाई वाले और दुर्गम क्षेत्र से पैदल चलने का फैसला किया.

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अपने गांव के ओंकारेश्वर मंदिर में जलाभिषेक किया
यात्रा पूरी करने के बाद कृतिका ने अपने गांव के ओंकारेश्वर मंदिर में गंगाजल से भगवान शिव का ‘जलाभिषेक’ किया. इस पवित्र क्षण को देखने के लिए पूरे गांव के लोग मंदिर में इकट्ठा हुए और कृतिका की आस्था और साहस की सराहना की.

गांव के अन्य लोग भी थे साथ
कृतिका ने इस उपलब्धि का श्रेय अपने पिता राजेंद्र कुमार और परिवार के अन्य पुरुष सदस्यों को दिया, जो पहले भी कई बार कांवड़ यात्रा कर चुके हैं. इस वर्ष की यात्रा में कृतिका के साथ उनके पिता, चाचा और गांव के अन्य लोग भी थे, जिन्होंने पूरे रास्ते उनका साथ दिया.

बी.पी.एड की द्वितीय वर्ष की छात्रा हैं कृतिका
कृतिका वर्तमान में सुंदरनगर के एमएलएसएम कॉलेज में बी.पी.एड की द्वितीय वर्ष की छात्रा हैं और राज्य स्तर की बॉक्सर भी हैं. पढ़ाई और खेल के साथ-साथ उनकी धार्मिक आस्था भी उतनी ही मजबूत है.

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गौरतलब है कि गौमुख से कांवड़ यात्रा करना बेहद कठिन माना जाता है, क्योंकि यह रास्ता ऊंचे पहाड़ों, अनिश्चित मौसम और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों से होकर गुजरता है. लेकिन कृतिका ने हिम्मत, श्रद्धा और संकल्प के बल पर यह यात्रा पूरी की और एक प्रेरणादायक मिसाल कायम की.

उनकी यह यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि महिला सशक्तिकरण और मानसिक दृढ़ता का भी अद्भुत उदाहरण है. कृतिका की यह उपलब्धि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी.

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