जाट हिंसा मामले में पटियाला हाउस कोर्ट में पेश हुए उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला

हरियाणा में जाट हिंसा के दौरान भड़काऊ भाषण देने की वजह से आया था जांच कमेटी की रिपोर्ट में नाम, बाद में नाम हटने के बाद किया जांच कमेटी पर मानहानि का केस.

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पटियाला हाउस कोर्ट में पेश हुये उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला (फोटो-पीटीआई) पटियाला हाउस कोर्ट में पेश हुये उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला (फोटो-पीटीआई)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 07 मार्च 2020,
  • अपडेटेड 8:28 PM IST

  • दुष्यंत ने किया था जांच कमेटी के खिलाफ मानहानि का केस
  • कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में किया था दुष्यंत के बयान का जिक्र

फरवरी 2016 में जाट आरक्षण आंदोलन की मांग को लेकर हरियाणा के कई हिस्सों में हिंसा और आगजनी की गई थी. इस हिंसा की जांच और पुलिसकर्मियों की भूमिका का पता लगाने के लिए सरकार ने सीमा सुरक्षा बल के पूर्व महानिदेशक प्रकाश सिंह के नेतृत्व में कमेटी का गठन किया था. इस रिपोर्ट में बिना किसी तथ्य के जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला के दिए गए बयान का जिक्र किया गया था. जिसे लेकर दुष्यंत ने कमेटी के खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट में आपराधिक मानहानि का मुकदमा कर दिया था. इसी संबंध में दुष्यंत आज कोर्ट पहुंचे और अपना बयान दर्ज कराया. इस मामले की अगली सुनवाई 20 मार्च को होगी.

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दरअसल, हिंसा के दौरान दुष्यंत ने मीडिया में एक बयान दिया था. जांच के दौरान कमेटी ने सरकार को जो रिपोर्ट सौंपी उसमें हिंसा को बढ़ावा देने के लिए दुष्यंत के इस बयान को भड़काऊ बयान के तौर पर पेश किया था. हालांकि रिपोर्ट आने के बाद दुष्यंत ने इन आरोपों को लेकर अपनी सफाई भी दी थी. जिसके बाद जांच कमेटी ने रिपोर्ट को सार्वजनिक किए जाने से पहले उनका नाम हटा दिया था.

आपको बता दें कि जाट आरक्षण की मांग को लेकर प्रदेश के रोहतक, सोनीपत, झज्जर, भिवानी, जींद, हिसार व दूसरे जिलों में जाम लगा दिया गया था, इसके साथ ही कई जिलों में हिंसक घटनाएं हुईं. इस हिंसा में 30 लोग मारे गए, जबकि लगभग 350 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. जांच कमेटी ने इस मामले में 20 लोगों को गवाह बनाया था, जिसमें ज्यादातर पुलिसकर्मी शामिल थे.

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इस हिंसा के बाद हरियाणा सरकार ने जाट समुदाय को पिछड़े आधार पर दस फीसदी आरक्षण देने का प्रस्ताव विधानसभा में पारित कर राज्य में आरक्षण लागू कर दिया था.

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