फरीदाबाद: खोरी गांव में अतिक्रमण हटाने के लिए पुलिस तैयार, लोगों को घर खाली करने का आदेश

पुलिस उपायुक्त डॉ. अंशु सिंगला ने जानकारी देते हुए बताया कि पुलिस द्वारा खोरी वासियों को सुप्रीमकोर्ट द्वारा अतिक्रमण हटाने के आदेश के संदर्भ में मुनादी कर अपील की गई है कि वह कोर्ट के आदेश का सम्मान करें. 

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फरीदाबाद पुलिस फरीदाबाद पुलिस

तनसीम हैदर

  • फरीदाबाद,
  • 11 जून 2021,
  • अपडेटेड 8:10 PM IST
  • अतिक्रमण हटाने के विरोध में सड़क पर लगा जाम
  • सूरजकुंड थाने में मुकदमा दर्ज
  • खोरी गांव में अवैध निर्माण हटाने का काम हो रहा है

फरीदाबाद पुलिस प्रशासन ने सुप्रीमकोर्ट द्वारा खोरी गांव में अतिक्रमण को हटाने के आदेश के अनुपालन करवाने के लिए पूरी तैयारियां कर ली हैं. पुलिस उपायुक्त डॉ. अंशु सिंगला ने जानकारी देते हुए बताया कि पुलिस द्वारा खोरी वासियों को सुप्रीमकोर्ट द्वारा अतिक्रमण हटाने के आदेश के संदर्भ में मुनादी कर अपील की गई है कि वह कोर्ट के आदेश का सम्मान करें. 

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उन्होंने बताया कि लोगों को बातचीत के जरिए समझाया जा रहा है कि सरकारी जमीन पर किए गए अतिक्रमण के फलस्वरूप बनाए गए घरों को खाली कर दें. वहीं अतिक्रमण हटाते समय यदि किसी ने बाधा उत्पन्न की तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाई की जाएगी.

वहीं अतिक्रमण हटाने के विरोध में शुक्रवार को खोरी निवासियों ने कोरोना नियमों और सरकारी आदेशों का उल्लंघन करते हुए सड़क पर जाम लगाकर विरोध प्रदर्शन किया. जिसकी वजह से आमजन को आवागमन में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. 

 

पुलिस के द्वारा सरकारी आदेशों की अवमानना करने के जुर्म में 8 लोगों के खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम व सरकारी आदेशों की अवहेलना के तहत हिरासत में लिया गया है. वहीं रास्ता जाम करने में शामिल अन्य लोगों की तलाश जारी है. 

क्या है मामला

फरीदाबाद के खोरी गांव में अरावली जंगल की जमीन पर बने अवैध निर्माण को बेदखल किए जाने काम किया जा रहा है. इसे लेकर अवैध कॉलोनी, स्लमवासियों ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका डाली. इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज करते हुए कहा कि जंगल की जमीन से कोई समझौता नहीं किया जा सकता.

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सुप्रीम कोर्ट ने फरीदाबाद प्रशासन से कहा, अरावली जंगल में बने अवैध 10 हजार मकानों, फ्लैट्स को हटाने का निर्देश दे दिया है. जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस दिनेश महेश्वरी की बेंच ने फरीदाबाद नगर निगम और हरियाणा पुलिस को निर्देश दिया है कि वो 6 हफ्ते के भीतर निष्कासन आदेश का पालन सुनिश्चित करें.



 

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